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NEP-2020 के क्रियान्वयन और बच्चों के समग्र विकास पर सेमिनार : सूर्या फाउण्डेशन 

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। सूर्या फ़ाउण्डेशन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर जागरूकता लाने के लिए  18.05.2024 को एक सेमिनार आयोजित किया। एन.सी.ई.आर.टी. के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं अनेक पुस्तकों के सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. एच.एल. शर्मा ने सेमिनार में आए हुए अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि पद्मश्री जयप्रकाश अग्रवाल छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ और उनके माथे पर चिंता की रेखाओं को बार-बार देखकर द्रवित हो जाते थे। इसके समाधान के लिए उन्होंने शिक्षाविदों की एक बैठक में बच्चों के बस्ते का बोझ एवं मानसिक तनाव कम करने के लिए एक कक्षा-एक किताब परियोजना के तहत कक्षा-एक से पाँच तक पुस्तकों की रचना करने का प्रस्ताव रखा। 

सभी शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों प्रो. चन्द्रभूषण, गंगादत्त शर्मा, प्रभाकर द्विवेदी, शांतिस्वरूप रस्तोगी, टी. आर. गुप्ता, डॉ. गुज्जरमल्ल वर्मा, प्रो. डी. पी. नैयर आदि ने प्रो. एच. एल. शर्मा के संयोजन में सूर्य भारती पुस्तकों की रचना की। इन पुस्तकों को अब एनईपी- 2020 के अनुरूप संशोधित किया जा चुका है। इन पुस्तकों का उपयोग करने के पश्चात् विद्या भारती, सनातन धर्म शिक्षा समिति आदि शिक्षा संस्थानों ने मुक्त कंठ से इनकी प्रशंसा करते हुए अपना फ़ीडबैक दिया है।

सूर्य भारती पुस्तकों में भारत की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति, सभ्यता और स्वस्थ परंपराओं का परिचय रोचक ढंग से कथा, नाटक, पहेली, संवाद आदि के माध्यम से कराया गया है। तर्कपूर्ण वैज्ञानिक सोच, देश के महापुरुषों के प्रति श्रद्धा, पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व जैसे प्रजातांत्रिक मूल्यों को इन पुस्तकों में विशेष महत्व दिया गया है। सीखने के न्यूनतम स्तर, सीखे हुए पर पूर्ण दक्षता, अवधारणात्मक समझ एवं रचनावाद के आधार पर इन पुस्तकों की रचना हुई है।

ज्ञान की समग्रता को अनुभव करते हुए सभी विषयों का समेकन किया गया है। ये पुस्तकें बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए मार्गदर्शक एवं अभिभावकों तथा प्रबंधकों आदि के लिए भी उपयोगी हैं। ये पुस्तकें लगभग  300 से अधिक विद्यालयों, 400 से अधिक संस्कार केन्द्रों, एकल विद्यालयों एवं सामाजिक संस्थाओं में पढ़ाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य भारती पुस्तकों की रचना मिनिमम लेवल ऑफ लर्निग, मास्टरी लर्निंग, कान्सेप्ट मैपिंग एवं रचनावाद इन चार आधारभूत सिद्धान्तों पर हुई है।

सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रो. धनंजय जोशी(उपकुलपति दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी) ने कहा कि शिक्षकों के व्यवहार में संवेदनशीलता जरूरी है। संवेदनशील शिक्षकों के बिना समाज का रूपान्तरण संभव नहीं है। पद्म जय प्रकाश जी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों की सराहना करते हुए जोशी जी ने कहा कि जेपी साहब युवकों के चरित्र निर्माण कर स्वामी विवेकानन्द के सपनों को साकार कर रहे हैं। अन्त में उन्होंने इमोशनल क्वोशेन्ट के साथ सिम्पैथी क्वोशेन्ट पर जोर देते हुए कहा कि इससे मानव प्रबुद्ध होने के साथ-साथ मानवीय गुणों से युक्त होगा जिससे समाज रूपान्तरित होगा।

अक्षर धाम मंदिर से आए डॉ मदन मोहन पाण्डेय जी ने कहा कि निरन्तरता और धैर्य से कार्य करने पर सफलता निश्चित होती है जिसे सूर्या फाउण्डेशन ने करके दिखाया है। शिक्षा के क्षेत्र में किया गया उनका प्रयास स्मरणीय रहेगा। उससे आगामी पीढ़ियाँ लाभान्वित होंगी।

 विशिष्ट वक्ता आचार्य परमेश शर्मा (सहायक प्राध्यापक, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि) ने शिक्षा को सदाचार से जोड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि सफल शिक्षण वही है जो शब्दों के साथ-साथ आचरण से सिखाया जाय, तभी शिक्षा सार्थक होती है। इस अवसर पर दिल्ली एनसीआर के प्राईवेट स्कूलो के चैयरमैन , प्रधानाचार्य, शिक्षक और सूर्या फाउण्डेशन के कार्यकर्त्ता शामिल रहे है

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