धूम्रपान करने वालों...

धूम्रपान करने वालों के फेफडें रह सकते हैं सुरक्षित, न्यूट्रास्युटिकल दवा हरस पर शोध 

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। शारदा युनिवर्सिटी ने नैनोवेद रीसर्च फाउन्डेशन के सहयोग से हरस के सफल क्लिनिकल ट्रायल की घोषणा की है।नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित यह न्युट्रास्युटिकल धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति के फेफड़ों में कार्बन मोनोऑक्साईड के स्तर में कमी लाकर उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है। इस फॉर्मूले में हल्दी से बने एक अवयव करक्युमिन का इस्तेमाल किया गया है, जो धूम्रपान के कारण होनेवाले रोगों की रोकथाम में कारगर है।विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के मौके पर यह घोषणा की गई है, जो धूम्रपान को रोकने एवं फेफड़ों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए तत्कालिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।

सिगरेट पीना फेफड़ों के कैंसर एवं अन्य क्रोनिक रोगों का मुख्य कारण है, आंकड़ों के मुताबिक पुरूषों में फेफड़ों के कैंसर के 90 फीसदी मामले और महिलाओं में 70-80 फीसदी मामले इसी वजह से होते हैं। धूम्रपान करनेवालों में फेफड़ों के कैंसर की संभावना 15 से 30 गुना अधिक होती है। इसी के मद्देनज़र नैनोवेद रीसर्च फाउन्डेशन के संस्थापक डॉ विजय कनुरू ने आधुनिक नैनो टेक्नोलॉजी के ज़रिए करक्युमिन से युक्त न्युट्रास्युटिकल हरस का विकास किया।

शारदा युनिवर्सिटी के प्रख्यात शोधकर्ताओं जैसे डॉ दीपक भार्गव, डॉ विद्यादेवी चंदवरकर और डॉ मिथिलेश मिश्रा द्वारा किए गए क्लिनिकल ट्रायल में धूम्रपान करनेवाले 25 स्वस्थ स्वयंसेवकों को शामिल किया गया, जिन्हें 30 दिनों तक रोज़ाना हरस का 10 एमएल जूस दिया गया। ट्रायल की शुरूआत में, मध्य में औरअंत में ब्रेथ एनालाइज़र की मदद से इनके फेफड़ों में कार्बन मोनोऑक्साईड के स्तर पर निगरानी रखी गई। परिणामों में पाया गया कि 30 वें दिन इनके कार्बन मोनोऑक्साईड स्तर में काफी कमी आई (P<0.001), इससे स्पष्ट है कि हरस धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों को डीटॉक्सीफाय करने में कारगर है। क्लिनिकल अध्ययन के निष्कर्ष समकक्ष समीक्षा वाली पत्रिकाओं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ केमिकल एंड बायोकेमिकल साइंसेज और जर्नल ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

डॉ दीपक भार्गव, प्रोफेसर एवं हैड ऑफ डिपार्टमेन्ट, ओरल पैथोलोजी एण्ड माइक्रोबायोलोजी, शारदा युनिवर्सिटी ने इन परिणामों के क्लिनिकल महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, ‘‘हमारे क्लिनिकल अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि हरस धूम्रपान करनेवालों में कार्बन मोनोऑक्साईड के स्तर में कमी लाकर उनके फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान करती है। यह न्युट्रास्युअकल धूम्रपान के कारण स्वास्थ्य पर पड़नेवाले बुरे प्रभावों से निपटने के लिए कारगर है।’’ 

अपोलो हॉस्पिटल्स, हैदराबाद से जाने-माने पल्मोनोलोजिस्ट डॉ प्रद्युत वाघरे ने कहा, ‘‘हरस सिगरेट पीने की वजह से फेफड़ों में होनेवाली सूजन औरऑक्सीडेटि व तनाव से बचाने में उपयोगी है, ऐसे में यह लाखों धूम्रपान करनेवालों के लिए निवारक दवा है।’

हरस, करक्युमिन के एंटी-ऑक्सीडेन्ट एवं एंटी-इन्फ्लामेटरी गुणों से भरपूर है, जो सिगरेट के धुएं की वजह से होनेवाली सूजन और ऑक्सीडेटि व तनावा को कम कर फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान करता है। इसका प्रॉपराइटरी नैनो फॉर्मुला सुनिश्चित करता है कि करक्युमिन शरीर में प्रभाविता के साथ अवशोषित होकरअधिकतम फायदा दे।

हरस का विकास और सफल सत्यापन निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में बड़ी प्रगति है। धूम्रपान करनेवाले के फेफड़ों में कार्बन मोनोऑक्साईड के स्तर में कमी लाकर हरस, फेफड़ों के कैंसर एवं फेफड़ों के अन्य रोगों की संभावना को कम करता है। यह नॉन-इनवेसिव, सुरक्षित एवं प्रभावी फॉर्मूला फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार लाकर स्वास्थ्य सेवाओं के बोझ को कम करता है। यह खासतौर पर वंचित वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है, और उन्हें धूम्रपान एवं वायु प्रदूषण के घातक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के मौके पर यह घोषणा, दुनियाभर में तम्बाकू के कारण होनेवाली स्वास्थ्य की चुनौतियों को हल करने की दिशा में आधुनिक समाधान है।

आधुनिक एवं चिकित्सकीय रूप से सत्यापित हरस फॉर्मूला दो सुविधाजनक रूपों में उपलब्ध हैःओवर-द-काउंटर लिक्विड ज्यूस के रूप में तथा प्रेस्क्रिप्शन के द्वारा कैप्स्यूल्स के रूप में। इस तरह की दोहरी उपलब्धता सुनिश्चित करेगी कि यह प्रोडक्ट अधिक से अधिक लोगों के लिए सुलभ हो। जनरल फिज़िशियलऔर पल्मोनोजिस्ट मरीज़ों को हरस कैप्स्यूल लेने की सलाह दे सकते हैं। ऐसे में यह धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव को कमकरनेवाला उपचार का अच्छा विकल्प होगा।अधिक जानकारी एवं खरीद के लिए विज़िट करें।

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