ब्रह्मलीन श्रीमहंत...

ब्रह्मलीन श्रीमहंत ताड़केश्वर गिरी जी महाराज की पुण्यतिथि पर संतो ने दी श्रद्धांजलि

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। पंचकुइयां स्थिति प्राचीन संन्यास आश्रम में आयोजित सामाजिक समरसता संत सम्मेलन एवं श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता राष्ट्रीय संत सेवा एंड गौ रक्षा कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री 1008 श्री शनिधाम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी निजस्वरूपानंदपुरी जी महाराज (दाती जी महाराज ) ने वही मुख्य अतिथि अथिति वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामशरणगिरी जी महाराज थे सभी संतो ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत ताड़केश्वर गिरी जी महाराज के छाया चित्र पर पुष्पांजलि देके श्रद्धांजलि दी गई।

विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना जी ने भी पुष्पाजंलि दी और सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संतो के प्रति सच्ची निष्ठा रखते थे और सनातन के लिए हमेशा अग्रणीय रहते थे पुज्य ताड़केश्वर गिरी जी महाराज उनके बताए गए मार्ग पर चलने की जरूरत है ऐसे महान संत को शत शत नमन सामाजिक समरसता का यह 29 वां संत सम्मेलन है पुज्य दाती जी महाराज ने जो अलख जगा रखा है उसको दिल्ली के कोने कोने में इस संकल्प को ले जाने की बात कही और साथ मे यह भी कहा कि हर मंदिर में भगवान महर्षि वाल्मीकि जी की मूर्ति को विराजमान करने का संकल्प है जो पूरा करेगी विश्व हिंदू परिषद इसी कड़ी में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी निजस्वरूपानंदपुरी जी महाराज ने कहा कि सामाजिक समरसता से राष्ट्र का निर्माण में अहम भूमिका हो सकती है यह प्रत्येक व्यक्ति को अनुभव करना चाहिए।

हमारे देश में सामाजिक एकता और समरसता की स्थापना के लिए प्राचीन काल से विभिन्न संस्कृति, परंपरा प्रचलित होती आयी है जैसे धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, तप आदि का आयोजन करना। हमारे धर्म ग्रंथ के माध्यम से भी सामाजिक समरसता का प्रचार होता है। इसके माध्यम से सभी समाज, सभी संस्कृति को एक सूत्र में बांध कर रखने का प्रयत्न किया गया है जोकि समरसता का परिचायक है। रामायण में श्रीराम का निषादराज गोह के साथ मित्रता एक सुंदर उदाहरण है। रामायण में वर्णित पक्षीराज जटायु का अंतिम संस्कार करना, वानरराज सुग्रीव के साथ मित्रता स्थापित कर अपने काल में इस मित्रता को बचाये रखना सामाजिक समरसता का उदाहरण है। सामाजिक एकता और समरता इस प्रकार का एक विषय है जिसका उपयुक्त समीक्षा पूर्वक ठीक तरह से लागू करना आज के समाज एवं राष्ट्र की मूलभूत आवश्यकता है।

जैसे कि किसी व्यक्ति के किसी अंग में घाव हुआ हो तो उसे काट कर नहीं फेंकते है बल्कि उसका उपचार किया जाता है एवं उसे ठीक किया जाता है। ठीक उसी तरह समाज का कोई वर्ग दुर्बल या उपेक्षित हो तो उसका उपयुक्त देखभाल कर राष्ट्र के मुख्य स्रोत में शामिल करना चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में भारतीय समाज में जाति प्रथा तथा धर्म आधारित भेदभाव विद्यमान है। इसके द्वारा समाज का बड़ा वर्ग राष्ट्र निर्माण में सहभागी नहीं हो पा रहा है। उसी प्रकार समाज को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक तथा मनोवैज्ञानिक दृष्टि कोण से विकसित कर मुख्य धारा में शामिल करने के साथ साथ राष्ट्र के विकास में सहभागी के रूप में स्थापित करना अनिवार्य है, यही आज के शिक्षित समाज का ध्येय होना चाहिए।

इस अवसर पर महामण्डलेश्ववर श्रीकृष्ण शाह विद्यार्थी जी महाराज, विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना, श्री दीपक गुप्ता, महामण्डलेश्ववर रामशरणगिरी जी महाराज, महामण्डलेश्वर सेवादास जी महाराज, महामण्डलेश्वर राधिकादास जी महाराज, महामण्डलेश्वर परमेश्वेर दास जी महाराज, दिल्ली प्रदेश के महामंत्री श्रीमहंत भोलागिरी जी महाराज, गाजियाबाद मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत कन्हैयागिरी जी महाराज, गाजियाबाद के महामंत्री श्रीमहंत विजयगिरी जी महाराज, दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत श्यामनाथ जी महाराज, श्रीमहंत धनराज गिरी जी महाराज, महंत प्रेमप्रकाश बरह्मचारी, स्वामी प्रज्ञानंद पुरी जी महाराज, महंत पूजागिरी जी महाराज, महंत गिरिशानंद जी महाराज, महंत कमलगिरी जी महाराज, श्रीमहंत हितेश्वेरगिरी जी महाराज, दिल्ली प्रदेश के कोतवाल स्वामी गिरिजानंद सरस्वती जी महाराज आदि उपस्थित थे आश्रम के व्यवस्थापक श्रीमहंत भोलागिरी जी महाराज ने सभी संतो को माला और शॉल से स्वागत किया और सभी का आभार किया।

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