महाराष्ट्र सरकार द्वारा हजूर साहिब अधिनियम में मनमाने ढंग से संशोधन करना सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप : बीबी रणजीत कौर
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। देश में जानबूझकर सिख पंथ को अलग-थलग महसूस कराया जा रहा है। इसी क्रम में महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने तख्त श्री हजूर साहिब प्रबंधन बोर्ड अधिनियम 1956 में छेड़छाड़ करने और सिख संगठनों के मनोनीत सदस्यों की संख्या कम कर सरकार द्वारा मनोनीत सरकारी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा अधिनियम में मनमाने ढंग से संशोधन करना सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है और यह हजूर साहिब की गद्दी को हड़पने की सरकारी साजिश है, जिसे सिख पंथ बर्दाश्त नहीं करेगा. सिख पंथ के मुद्दों पर बार-बार हो रहे षडयंत्रकारी हमलों को देखते हुए सभी पंथक व राजनीतिक संगठनों को एकजुट होकर एक मंच पर आना चाहिए ताकि ऐसे संकटों का समाधान हो सके।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत शिरोमणि अकाली दल, प्रमुख पंथक संगठनों और बुद्धिजीवियों की एक संयुक्त समिति बनाकर महाराष्ट्र सरकार से बातचीत कर मामले को सुलझाने की पहल करनी चाहिए। इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल अल्पसंख्यक आयोग को भी भेजा जाना चाहिए ताकि उन्हें मामले की जानकारी और मामले की गंभीरता से अवगत कराया जा सके।
गौरतलब है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, चीफ खालसा दीवान समेत कई संगठनों को हजूर साहिब के प्रशासन से बाहर रखा जा रहा है और शिंदे सरकार की कैबिनेट इस पर प्रस्ताव पारित कर विधानसभा में बिल पेश करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सरकार ने मनोनीत सदस्यों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 करने की सिफारिश की है। यह शब्द शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई की महिला विंग की मुख्य सेवादार बीबी रणजीत कौर ने मीडिया को जारी अपने बयान के माध्यम से व्यक्त किये।
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