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खालसा कॉलेज की स्वायत्तता 130 दिनों से छोड़ने के पीछे दिल्ली कमेटी का क्या हित है? : जीके

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज पत्र लिखकर श्री गुरू तेग बहादर खालसा कॉलेज की खंडित गवर्निंग बॉडी के पुनर्निर्माण की ओर ध्यान आकर्षित किया है। दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को लिखे पत्र में जीके ने प्रबंधकी लापरवाही के कारण कॉलेज की स्वायत्तता के खत्म होने का जिक्र किया है। इस संबंध में जीके ने अपने फेसबुक पेज पर लाइव होकर गवर्निंग बॉडी के पुनर्निर्माण की मांग की है। पत्र में जीके ने लिखा है कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि मेरे अध्यक्ष रहते हुए हमने सभी चारों खालसा कॉलेजों में साबत सूरत सिख बच्चों के लिए 50% सीटें आरक्षित करने की लड़ाई लड़ी और जीती थी। लेकिन जिस तरह से वर्तमान में आपने चारों खालसा कॉलेजों में पहले अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र जारी करने का दिल्ली कमेटी का एकाधिकार खो दिया और फिर भर्ती के समय सिख अभ्यर्थियों के साथ उदासीनता बरती। उससे सिख संगत को लगता है कि खालसा कॉलेजों को संविधान के अनुच्छेद 30(1) से मिली स्वायत्तता का उपयोग करने की आपमें इच्छाशक्ति नहीं है।

एक तरफ हमारे समकक्ष सेंट स्टीफंस और जीसस मैरी जैसे क्रिश्चियन कॉलेजों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपनी दाखिला नीति के तहत पिछले साल विधार्थियों को दाखिला दिया था। वहीं दूसरी तरफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अब सुप्रीम कोर्ट में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। लेकिन मुझे नहीं पता कि आपकी क्या मजबूरियां हैं ? क्यों आपने सिख कौम के हितों को विश्वविद्यालय के सामने समर्पण कर दिया है ? क्या आपके पास दिल्ली के सिख बुद्धिजीवियों और विद्वान व कौम परस्तों में ऐसी कोई भी शख्सियत नहीं हैं, जो खालसा कॉलेज का चेयरमैन और कोषाध्यक्ष बनने के योग्य हों? बड़ी मेहनत और तपस्या से निर्मित इन कौमी शिक्षण संस्थानों के प्रति अपनी उदासीनता को किनारे करते हुए दिल्ली कमेटी तुरंत श्री गुरू तेग बहादर खालसा कॉलेज का प्रबंध अपने हाथ में लें। अन्यथा यह समझा जाएगा कि आप चल रहीं भर्ती प्रक्रिया के बीच 'छिपकर लड्डू खाने' के इरादे से यह 'फिक्स्ड मैच' खेल रहे हैं।

मुझे जानकारी मिली है कि श्री गुरू तेग बहादर खालसा कॉलेज, नॉर्थ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी पूर्व चेयरमैन तरलोचन सिंह के इस्तीफे के बाद 23 सितंबर 2023 से खंडित पड़ी है। लेकिन 130 दिन बीत जाने के बावजूद दिल्ली कमेटी द्वारा अपने प्रमुख कॉलेज की गवर्निंग बॉडी का पुनर्गठन न कर पाना कई संदेह पैदा कर रहा है। वर्तमान में कॉलेज के नियमित निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. सबा करीम और डॉ. राकेश कुमार द्वारा लिए जा रहे हैं। वर्तमान कार्यरत गवर्निंग बॉडी ने निश्चित और कार्यकारी भर्तियों के संबंध में कई नोटिस भी जारी किए हैं, जो कॉलेज की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इन मुख्य नोटिसों में लैब तकनीशियन और लाइब्रेरी अटेंडेंट, साक्षात्कार निदेशक शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, हिंदी और वनस्पति विज्ञान विभाग के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती परीक्षा भी शामिल है।

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