राम, राष्ट्र को एकसूत्र में जोड़ने वाले सबसे सशक्त माध्यम : प्रो. निरंजन कुमार
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। भारतीय भाषा समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 22 जनवरी, 2024 को दोपहर 2:30 बजे विज्ञान संकाय के ड्रीम बिल्डिंग के सभागार में ‘हमारे राम’ विषयक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. योगेश सिंह के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख अजय कुमार मुख्य अतिथि रहे।
मुख्य अतिथि श्री अजय कुमार ने कहा कि राम धर्म के साक्षात स्वरूप हैं। राम गुण समुच्चय हैं और सदैव वर्तमान हैं। हमें राम का आह्वान करना है तो पहले राम जैसा बनना होगा। हमारी संस्कृति हमारी भाषाओं में प्रवाहित होती है इसलिए अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी भाषा का अंतःकरण से अनुकरण करने की आवश्यकता है। राम केवल मंदिर के नहीं बल्कि हमारे हृदय का विषय होने चाहिए। हमारे राम हमारी भाषा, भूषा, भोजन, भजन, भ्रमण और भाव में दिखने चाहिए।
गोष्ठी की प्रमुख विशेषता इसके अखिल भारतीय स्वरूप का होना रही। गोष्ठी में हिंदी के समानांतर ही संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगला, असमिया, पंजाबी, मराठी, मणिपुरी आदि विभिन्न भारतीय भाषाओं के कवियों कवयित्रियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। यह गोष्ठी श्रीराम के ही अखिल भारतीय स्वरूप की प्रतिनिधि गोष्ठी रही।
गोष्ठी के संयोजक प्रो. निरंजन कुमार, अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति एवं अधिष्ठाता (योजना), दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि यह भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल है और इसकी पृष्ठभूमि में श्रीराम हैं। राष्ट्र में जिस व्यक्तित्व के ऊपर सर्वाधिक रचनाएँ हुई हैं वह राम हैं। राम का व्यक्तित्व सार्वभौमिक, सार्वदेशिक, सार्वकालिक, सार्वपंथिक है। न केवल हिंदुओं बल्कि बौद्ध, जैन और सिख पंथ में भी राम अपनी पूरी अस्मिता के साथ व्याप्त हैं। यहां तक कि मुस्लिम, ईसाई भी राम के मुरीद रहे हैं। राम सर्वधर्म समभाव के जीवंत उदाहरण हैं। आपने कहा कि राम के मूल्यों से प्रेरित और विभिन्न भारतीय भाषाओं को एक साथ लेकर चलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में यह अपनी तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो. योगेश सिंह के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में भारतीय भाषा समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय भारतीय भाषाओं में समन्वय और उच्च शिक्षा में इसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। इसे बढ़ावा देने के लिए और राम के माध्यम से विभिन्न भारतीय भाषाओं को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय एकता का भी संदेश दिया गया है। अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विंध्यवासिनी पांडेय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अनेक उच्च पदाधिकारियों सहित डीन, संकाय सदस्य, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र और समाज के अन्य भाषा और साहित्य प्रेमी शामिल रहे।
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