शहीदी दिवस...

शहीदी दिवस पर याद किए गये जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व कार्यकारी जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके को आज गुरुद्वारा श्री गुरू सिंह सभा, मोती नगर में उनके शहीदी दिवस पर संगत द्वारा याद किया गया। पंजाब पुलिस द्वारा 1 जनवरी 1993 को यातनाएं देकर शहीद किए गए भाई गुरदेव सिंह काउंके की शहादत के संबंध में प्रातःकाल में प्रभात फेरी के संबंध में सजाए गए विशेष दीवान में गुरमत विचार और अरदास की गईं। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी भाई गुरबिंदर सिंह ने "गुरसिखों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलने और शहादतों को याद रखने की शक्ति देने" की गुरू चरणों में अरदास की। 

यहां बता दें कि पंजाब पुलिस पर आरोप है कि जगराओं के तत्कालीन एसएचओ ने पहले 12 दिसंबर 1992 को जत्थेदार काउंके को उनके घर से उठाया था, लेकिन उनके सात दिन के पोते की मृत्यु के कारण तब उन्हें छोड़ दिया था। उसके बाद जत्थेदार काउंके को 25 दिसंबर 1992 को दोबारा गांव के एक युवक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने तब दावा किया था कि जत्थेदार काउंके 2 जनवरी, 1993 को एक कांस्टेबल की उस बेल्ट को तोड़ने के बाद हिरासत से भाग गए थे, जिस बेल्ट में उनको लगी हथकड़ी फंसी हुई थी। पर सिखों के तीखे विरोध के बाद 7 जून 1998 को, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) बीपी तिवारी ने जत्थेदार काउंके की कथित हत्या की जांच शुरू की थी और 1999 में इस रिपोर्ट को सरकार को सौंप दिया था। पर यह रिपोर्ट अब 24 साल के बाद पंजाब मानवाधिकार संगठन के हाथ लगी है और उसने इसे अकाल तख्त के वर्तमान जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह के साथ सांझा किया है।

गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार भाई रविंदर सिंह बिट्टू ने संगतों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की शहादत का बीता सप्ताह गुज़रे साल में बड़ी श्रद्धा व भावना के साथ मनाया गया था। लेकिन आज नए अंग्रेजी साल की शुरुआत के पहले दिन ही संगतों को भाई गुरदेव सिंह काउंके की शहादत के बारे में बताना जरूरी हो गया है। सिख 76 वर्षों से अपने देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। सीमाओं की रक्षा करते हुए सिखों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी है। परन्तु यह कहते हुए खेद होता है कि सिक्खों ने जिस देश की उन्नति के लिए अपना तन-मन-धन लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसी देश में भाई गुरदेव सिंह काऊंके के साथ सरकारी मशीनरी ने अमानवीय व्यवहार किया था। सिखों को अब पता चला है कि बीते 31 साल से पुलिस हिरासत से फरार बताए जा रहे भाई गुरदेव सिंह काउंके को पुलिस ने ही मार डाला था, जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी।

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