आरएसएस...

आरएसएस के कितने लोग आजादी की लड़ाई में शहीद हुए ?

चन्दन कुमार 

नई दिल्ली। यह सवाल बार बार कोमनिस्ट पार्टी और कांग्रेस पार्टी के लोगो ने किया और अभी भी उनके पार्टी के अल्पज्ञानी लोग करते रहते है। आज मैं उनको बताना चाहता हूँ कि वो अपने ज्ञान चक्षु को खोले और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले स्वयंसेवको की बलिदान के बारे में जाने। आरएसएस का निर्माण ही स्वतंत्रता प्राप्ति के उदेश्य से डॉ. केशव हेडगेवार जी द्वारा विजयदशमी के दिन 1925 में किया गया। 1926-27 में जब संघ नागपुर और आसपास तक ही पहुँचा था, उसी काल में प्रसिद्ध क्रांतिकारी राजगुरु नागपुर की भोंसले वेदशाला में पढ़ते समय स्वयंसेवक बने। इसी समय भगत सिंह ने भी नागपुर में डॉक्टर जी से भेंट की थी। दिसम्बर 1928 में ये क्रान्तिकारी पुलिस सांडर्स का वध करके लाला लाजपतराय की हत्या का बदला लेकर लाहौर से सुरक्षित आ गए थे। डॉ. हेडगेवार ने राजगुरु को उमरेड में भैया जी दाणी (जो बाद में संघ के अ.भा. सरकार्यवाह रहे) के फार्म हाउस पर छिपने की व्यवस्था की थी। 1928 में साइमन कमीशन के भारत आने पर पूरे देश में उसका बहिष्कार हुआ। नागपुर में हड़ताल और प्रदर्शन करने में संघ के स्वयंसेवक अग्रिम पंक्ति में थे। 

इसके बाद,यहाँ पर मैं आपको सत्याग्रियो की सहायता के लिए स्वयंसेवको ने जो जत्था बनाई थी उसके बारे में चर्चा करना चाहता हूँ। शारीरिक शिक्षण प्रमुख (सरसेनापति) श्री मार्तण्ड राव जोग, नागपुर के जिलासंघचालक श्री अप्पाजी हलदे आदि अनेक कार्यकर्ताओं और शाखाओं के स्वयंसेवकों के जत्थों ने भी सत्याग्रहियों की सुरक्षा के लिए 100 स्वयंसेवकों की टोली बनाई जिसके सदस्य सत्याग्रह के समय उपस्थित रहते थे। 8 अगस्त को गढ़वाल दिवस पर धारा 144 तोड़कर जुलूस निकालने पर पुलिस की मार से अनेक स्वयंसेवक घायल हुए। विजयादशमी 1931 को डॉ. जी जेल में थे, उनकी अनुपस्थिति में गाँव-गाँव में संघ की शाखाओं पर एक संदेश पढ़ा गया, जिसमें कहा गया था- “देश की परतंत्रता नष्ट होकर जब तक सारा समाज बलशाली और आत्मनिर्भर नहीं होता तब तक रे मना ! तुझे निजी सुख की अभिलाषा का अधिकार नहीं ।" जनवरी 1932 में विप्लवी दल द्वारा सरकारी खजाना लूटने के लिए हुए बालाघाट काण्ड में वीर बाघा जतीन (क्रान्तिकारी जतीन्द्र नाथ) अपने साथियों सहित शहीद हुए और श्री बाला जी हुद्दार आदि कई क्रान्तिकारी बन्दी बनाए गए। श्री हुद्दार उस समय संघ के अ.भा.सरकार्यवाह थे।

अंग्रजो के कठोर दंड नीति को जानते हुए भी आरएसएस के परवानो ने देश के कई क्रांतिकारियों को आश्रय देने में पीछे नही रहे! नागपुर के निकट रामटेक के तत्कालीन नगर कार्यवाह श्री रमाकान्त केशव देशपाण्डे उपाख्य बालासाहब देशपाण्डे को आन्दोलन में भाग लेने पर मृत्युदण्ड सुनाया गया। आम माफी के समय मुक्त होकर उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की। देश के कोने-कोने में स्वयंसेवक जूझ रहे थे। मेरठ जिले में मवाना तहसील पर झण्डा फहराते स्वयंसेवकों पर पुलिस ने गोली चलाई, अनेक स्वयंसेवक घायल हुए। आंदोलनकारियों की सहायता और शरण देने का कार्य भी बहुत महत्व का था। केवल अंग्रेज सरकार के गुप्तचर ही नहीं, कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता भी अपनी पार्टी के आदेशानुसार देशभक्तों को पकड़वा रहे थे। ऐसे जयप्रकाश नारायण और अरुणा आसफ अली दिल्ली के संघचालक लाला हंसराज गुप्त के यहाँ आश्रय पाते थे। प्रसिद्ध समाजवादी श्री अच्युत पटवर्धन और साने गुरुजी ने पूना के संघचालक श्री भाऊसाहब देशमुख के घर पर केन्द्र बनाया था। 'पतरी सरकार ' गठित करने वाले प्रसिद्ध क्रान्तिकमीं नाना पाटिल को औौंध (जिला सतारा) में संघचालक पं.सातवलेकर जी ने आश्रय दिया।

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