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2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 फीसदी कमी लाने पर हो रहा प्रयास : गडकरी

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार

नई दिल्ली। कॉरिडोर-आधारित सड़क सुरक्षा उदाहरणों को बढ़ावा देने से हर साल 40,000 से अधिक लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं । आज सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा विमोचित एक अध्ययन में यह बात सामने आई। वर्ल्ड बैंक समूह और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा किया गया, "रोड सेफ्टी गुड प्रक्टिसेस इन इंडिया" अध्ययन, देश भर से सड़क सुरक्षा के सफल उदाहरणों को प्रदर्शित करता है। यह अध्ययन ऐसे समाधानों का संग्रह हैं जिनके कारण चयनित सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय और कई मामलों में कमी आई है।

यह रिपोर्ट भारत के कई उल्लेखनीय उदाहरणों पर प्रकाश डालती है, जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग - 48 (ओल्ड मुंबई-पुणे राजमार्ग) की ज़ीरो फैटलिटी कॉरिडोर (ZFC) परियोजना, जिसने 2018 और 2021 के बीच मृत्यु दर में उल्लेखनीय 61% की कमी दर्ज़ की। इसी तरह, कर्नाटक के बेलगाम - यारागट्टी राजमार्ग का सेफ कॉरिडोर डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट (SCDP) ने 2015 से 2018 तक तीन वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में होनें वाली मौतों में 54% की कमी दर्ज की।इसी के संदर्भ मे क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में जहा 32 फीसदी इजाफा हुआ है । उल्लेखनीय बात यह है कि केरल के सबरीमाला सेफ जोन प्रोजेक्ट ने 2019 और 2021 के बीच शून्य सड़क दुर्घटना मौतों का रिकॉर्ड कायम किया।

केंद्र और राज्य सरकारों के कई वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में जारी की गई इस रिपोर्ट में समाधानों को कॉरिडोर-आधारित, नेटवर्क-आधारित और राज्य-आधारित रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें नौ कॉरिडोर-आधारित, दो शहर/नेटवर्क-आधारित और दो राज्य-आधारित उदाहरण शामिल हैं। यह अध्ययन रिपोर्ट इन समाधानों और उनकी प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण है, ताकि इन चुनिंदा उदाहरणों को प्रभावी ढंग से अपनाया जा सके और उनकी प्रतिकृति बनाई जा सके।

इन उल्लेखनीय उदाहरणों को इकट्ठा करने के लिए, भारत भर के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के सभी संबंधित विभागों (पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य, आदि) को प्रश्नावलियां भेजी गयी थी। इसके अलावा, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिदृश्य को समझने, आशाजनक सड़क सुरक्षा प्रयासों का पता लगाने और राज्यों द्वारा साझा किए गए डेटा को पूरा करने के लिए माध्यमिक अनुसंधान किया गया है। राज्यों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं और माध्यमिक अनुसंधान के निष्कर्षों का विश्लेषण इस रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया है।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श नितिन गडकरी जी ने कहा, “वर्ल्ड बैंक और MoRTH के समर्थन से सेवलाइफ फाउंडेशन की इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारत के सड़क मार्गों के लिए एक सुरक्षित नेतृत्व तैयार करना है। नीति निर्माताओं, प्रशासकों और हितधारकों के लिए इस रिपोर्ट का व्यापक विश्लेषण लाभकारी रहेगा। उन्होंने कई विकल्पों पर प्रकाश डालते हुए गडकरी ने अधिकारियों को अभी आड़े हाथों लेते हुए डीपीआर रिपोर्ट गलत तरीके से पेश करना भी एक कारण माना है ,भारत से उभरे हुए उल्लेखनीय उदाहरणों से तैयार यह रिपोर्ट, ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगी और सहयोग को बढ़ावा देगी।

इन उदाहरणों को पूरे भारत में पाई जाने वाली विविध सड़क सुरक्षा स्थितियों के अनुरूप ढाला जा सकता है। उन्होंने ट्रेफिक के नियमो का सख्ती से पालन करना और स्कूल, कालेजों इंस्टीट्यूशन और संस्थाओं में भी प्रचार प्रसार कर लोगो को जागरूक करना भी जरूरी हो।इस पर राज्य को ज्यादा कार्य करने की ज़रूरत है। रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए पीयूष तिवारी, सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ ने कहा,“2018 और 2022 के बीच भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 7% की वृद्धि हुई है। इस को मद्देनज़र रखते हुए, भारत को सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में कमी लाने वाले प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सड़क सुरक्षा में सुधार लाने के लिए, भारत के सभी राज्य इस रिपोर्ट को, एक गाइडबुक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।

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