देश के नागरिकों...

 देश के नागरिकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है सुप्रीम कोर्ट

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में इतिहास रचा गया। सुप्रीम कोर्ट परिसर में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनावरण किया। 26 नवंबर 1949 को ही संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुकुमार पटजोशी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत न्याय के नए मानदंड स्थापित किए हैं। देश के हर नागरिक का देश के सर्वोच्च अदालत पर भरोसा है। और हम सब उस भरोसे को और मजबूत करने में जुटे हुए हैं। हम देश के नागरिकों से यह कहना चाहते हैं कि जब कभी भी आपके साथ न्याय नर हो रहा हो तो देश के सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाना से ना घबराएं। देश की सर्वोच्च अदालत देश के हर एक नागरिक की अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।

सुकुमार पटजोशी ने कहा कि देश में अधिकतर जगह, छोटे-बड़े शहर, कस्‍बों, गांव में डॉ. अंबेडकर की हाथ उठाए प्रतिमा आगे बढ़ने के प्रेरणा देती है। अब सुप्रीम कोर्ट परिसर में भी सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। तीन फुट ऊंचे आधार पर डॉक्टर अंबेडकर की सात फुट ऊंची प्रतिमा वकील की वेशभूषा में है। उन्होंने वकील की तरह गाउन और बैंड पहना हुआ है और एक हाथ में संविधान की प्रति है। मुझे उम्मीद है कि इससे आने वाली पीढियां को भी प्रेरणा मिलती रहेगी।

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