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सूर्या फ़ाउण्डेशन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक सेमिनार आयोजित किया

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। एन.सी.ई.आर.टी. के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं अनेक पुस्तकों के सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. एच.एल. शर्मा ने सेमिनार में आए हुए अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि पद्मश्री जयप्रकाश अग्रवाल जी छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ और उनके माथे पर चिंता की रेखाओं को बार-बार देखकर द्रवित हो जाते थे। इसके समाधान के लिए उन्होंने शिक्षाविदों की एक बैठक में बच्चों के बस्ते का बोझ एवं मानसिक तनाव कम करने के लिए एक कक्षा-एक किताब परियोजना के तहत कक्षा-एक से पाँच तक पुस्तकों की रचना करने का प्रस्ताव रखा। सभी शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों प्रो. चन्द्रभूषण, श्री गंगादत्त शर्मा श्री प्रभाकर द्विवेदी, श्री शांतिस्वरूप रस्तोगी, श्री टी. आर. गुप्ता, डॉ. गुज्जरमल्ल वर्मा, प्रो. डी. पी. नैयर आदि ने प्रो. एच. एल. शर्मा के संयोजन में सूर्य भारती पुस्तकों की रचना की। इन पुस्तकों को अब एनईपी- 2020 के अनुरूप संशोधित किया जा चुका है। इन पुस्तकों का उपयोग करने के पश्चात् विद्या भारती, सनातन धर्म शिक्षा समिति आदि शिक्षा संस्थानों ने मुक्त कंठ से इनकी प्रशंसा करते हुए अपना फ़ीडबैक दिया है।

सूर्य भारती पुस्तकों में भारत की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति, सभ्यता और स्वस्थ परंपराओं का परिचय रोचक ढंग से कथा, नाटक, पहेली, संवाद आदि के माध्यम से कराया गया है। तर्कपूर्ण वैज्ञानिक सोच, देश के महापुरुषों के प्रति श्रद्धा, पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व जैसे प्रजातांत्रिक मूल्यों को इन पुस्तकों में विशेष महत्व दिया गया है। सीखने के न्यूनतम स्तर, सीखे हुए पर पूर्ण दक्षता, अवधारणात्मक समझ एवं रचनावाद के आधार पर इन पुस्तकों की रचना हुई है।

ज्ञान की समग्रता को अनुभव करते हुए सभी विषयों का समेकन किया गया है। ये पुस्तकें बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए मार्गदर्शक एवं अभिभावकों तथा प्रबंधकों आदि के लिए भी उपयोगी हैं। ये पुस्तकें लगभग  300 से अधिक विद्यालयों, 400 से अधिक संस्कार केन्द्रों, एकल विद्यालयों एवं सामाजिक संस्थाओं में पढ़ाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य भारती पुस्तकों की रचना मिनिमम लेवल ऑफ लर्निग, मास्टरी लर्निंग, कान्सेप्ट मैपिंग एवं रचनावाद इन चार आधारभूत सिद्धान्तों पर हुई है।

मुख्य वक्ता डॉ. मिलिन्द कांबले ने NEP - 2020 की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए मल्टीडिसिप्लिनरिटी और होलिस्टिक अप्रोच को नीति की Beauty बताया और कहा कि NEP -2020 के समग्र और बहुविषयक होने से ही IIT, IIM और AIMS तीनों राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के collaboration से IIM की ओर एक कोर्स लांच किया गया है जो विद्यार्थियों को एक संस्थान की डिग्री के साथ अन्य दोनों संस्थानों की डिग्री भी प्रदान करेगा जो उसके करियर को बेहतर बनाने में हेल्पफुल होंगी। अन्त में उन्होंने NEP-2020 को Appreciate करते हुए कहा कि यह नीति हमारी Present Generation को Future Ready Generation के रूप विकसित करने एवं भारत को विश्वगुरु बनाने में अपना योगदान करेगी।

मुख्य अतिथि प्रो. रवीन्द्र गुप्ता ने सूर्या फाउण्डेशन की लीक से हटकर - out of the box ideas की नीति की सराहना करते हुए कहा कि बच्चे के होलिस्टिक डिवलपमेंट में शारीरिक विकास, मानसिक विकास, चरित्र निर्माण, सामाजिक उत्तरदायित्व, राष्ट्रीयता की समझ आदि सभी पहलू विकसित होने चाहिए। यह नीति भारत केन्द्रित है जो हमारी भावी पीढ़ी को गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह बाहर निकाल कर उनमें स्वाभिमान और देश-भक्ति जैसे गुणों को बढ़ाएगी।इस अवसर पर दिल्ली एनसीआर के प्राईवेट स्कूलो के चैयरमैन , प्रधानाचार्य, शिक्षक और सूर्या फाउण्डेशन के कार्यकर्त्ता शामिल रहे है।

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