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खिड़की विस्तार डीडीए लैंड पर अवैध कब्जों की बाढ़, हौज रानी की पैतृक संपत्ति पर कार्रवाई

दिल्ली ब्यूरो 

नई दिल्ली। खिड़की विस्तार में डीडीए लैंड पर अवैध कब्जों की बाढ़ है , किंतु हौज रानी जामुन वाले पार्क के बराबर बस स्टैंड के अपोजिट खसरा नंबर 216 वर्ष 1949 50 से नवाज खान और मौज खान के नाम दर्ज पर इदरीस खान और उनके पुत्र खेती के पश्चात, वर्षों से रेता बदरपुर का व्यवसाय कर के अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे , इस पैतृक संपत्ति का नवाज खान, मौज खान या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी कोई मुआवजा नहीं लिया। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार ना तो उपरोक्त भूमि का पंचनामा हुआ , ना ही इसका नियमानुसार अधिग्रहण और ना ही सैद्धांतिक डेमार्केशन का कोई रिकॉर्ड है। इसके बावजूद जमाबंदी /खेवट नंबर 94 खसरा नंबर 216 पर दिनांक 13 मार्च 2023 को बिना नोटिस बिना मुआवजा, बिना अवार्ड DDA द्वारा कार्रवाई करके दिनांक 24 जुलाई 2023 को वर्ष 1949 से पैतृक संपत्ति के परिवार के समान को हटा कर कहा की यह न्यायालय का आदेश है। ऑर्डर अप्रूवल या डिमोलिशन ऑर्डर दिखाने की मांग पर DDA अधिकारी भड़क गए क्योंकि उपरोक्त तिथि को अधिकारियों के पास खसरा नंबर 216 के डिमोलिशन का आर्डर नहीं था कार्रवाई 214 पर करनी थी , किंतु 214 पर सांठ गांठ या दबाव के कारण कार्रवाई न करके 216 की पैतृक संपत्ति पर कार्रवाई कर के नियमों का उल्लंघन किया।

डीडीए अधिकारियों का कहना है की कार्रवाई न्यायालय के आदेशानुसार है , जबकि 216 के पैतृक भाग कब्जाधारियों /स्वामियों पर न्यायालय का आदेश नहीं है , न ही अलाटी हकीकत राय के अलॉटमेंट विवाद से पैतृक संपत्ति का संबंध है , डीडीए के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि खसरा नंबर 216 के पैतृक भाग पर डिमोलिशन का आर्डर स्पष्ट है ही नहीं , केवल संबंधित अधिकारियों ने न्यायालय की फटकार से बचने और सेवादारों को खुश करने के लिए वर्ष 1949- 50 से पैतृक संपत्ति के स्वामियों को हटाया है। भूखंड स्वामी सदस्य फहीम खान ने संबंधित विभागों के विरुद्ध न्याय के लिए न्यायालय में गुहार लगाई है , कई तिथियों के बाद भी डीडीए अभी तक न्यायालय के समक्ष संतोष जनक जवाब देने में असमर्थ है 

खिड़की विस्तार और हौज रानी की कितनी लैंड डीडीए को नोटिफाई है? कितनी भूमि का अधिग्रहण किया गया? कितनी भूमाफियाओं के लिए छोड़ी गई? नोटिफाई लैंड पर डीडी अधिकारियों की मिली मदद से अवैध कब्जे कराए गए? इस प्रश्न पर विभाग के महाभ्रष्ट अधिकारियों के पास संतोष जनक जवाब नहीं है, जिसके लिए उन्हें नयायालय के समक्ष जवाब देना होगा।

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