बंदी सिंघों...

बंदी सिंघों की रिहाई के लिए तिहाड़ जेल के बाहर हुई अरदास

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। बंदी सिंघों की रिहाई के लिए रविवार को पंथदर्दीयों के एक समूह ने दिल्ली की तिहाड़ जेल के बाहर गुरु हरिगोबिंद साहिब जी के चरणों में अरदास की। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के निमंत्रण पर एकत्र हुए विभिन्न पंथक संगठनों और सिंह सभाओं के प्रतिनिधियों ने चौपई साहिब, शबद कीर्तन और आनंद साहिब का पाठ करके अरदास की।अरदास के बाद गुरु का लंगर और कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर आई सभी संगतों को धन्यवाद देते हुए जीके ने साफ कहा कि सरकारें सिख कैदियों के साथ भेदभाव कर रही है। वो सरकार चाहे केंद्र, दिल्ली, पंजाब या कर्नाटक राज्य की हो। धर्म के आधार पर अधिक गंभीर अपराध करने वाले अपराधियों को अच्छे आचरण का हवाला देकर 14 साल की सजा पूरी करने से पहले ही रिहा किया गया है, जबकि सरकारें दोगुनी सजा काटने के बावजूद अशांति पैदा होने के बहाने से सिख कैदियों को जेलों में जबरन रखकर बैठी हुई है।

2019 में केंद्र सरकार ने गुरु नानक साहिब जी के 550वें प्रकाश पर्व पर 8 सिंघों को रिहा करने की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन अब सरकार उससे पीछे हट गई है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में अपने हाथ खड़े कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भाई बलवंत सिंह राजोआना को उस आधार पर राहत नहीं दी, जिस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भाई देविंदर पाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। जबकि भाई बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका 12 साल से राष्ट्रपति के पास लंबित है। एक तरफ केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना के विपरीत 28 साल की जेल में सजा काट चुके भाई बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध किया है। लेकिन दूसरी ओर केंद्र सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कारी और उसके परिवार के सदस्यों के हत्यारों को केवल 8 साल की सजा काटने के बाद ही स्थाई रिहाई करने के गुजरात सरकार के फैसले का सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बचाव किया है।

जीके ने सवाल किया कि यह भेदभाव नहीं तो ओर क्या है? एक ओर जहां बलात्कारियों और हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा के बदले सिर्फ 8 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया जाता है। जबकि निर्भया कांड के बाद बलात्कारियों को जीवन भर जेल में रखना कानून की मांग थी। लेकिन बिलकिस बानो के आरोपियों को जेल से बाहर निकालने के लिए तमाम कानूनी दांव-पेंच सरकार द्वारा रचे गए। हालाँकि दूसरी ओर भाई बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर सुनवाई नहीं होने के कारण वह 17 साल से फाँसी चक्की में बैठे हैं। संविधान की मूल भावना और कानूनी प्रावधानों को तोड़ मरोड़कर एक समुदाय को खुश करने के लिए सरकार द्वारा संभवत: बंदी सिंघों पर यह मानसिक अत्याचार किया जा रहा है।

इस मौके पर समाजिक कार्यकर्ता गुरदीप सिंह मिंटू, डॉ. परमिंदर पाल सिंह, चमन सिंह और अवतार सिंह कालका ने संगत को संबोधित किया। दिल्ली कमेटी सदस्य सतनाम सिंह खालसा, पूर्व कमेटी सदस्य हरजिंदर सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता हरमीत सिंह पिंका, इकबाल सिंह, मनजीत सिंह रूबी, एडवोकेट सतिंदर सिंह चौधरी, बाबू सिंह दुखिया, डॉक्टर पुनप्रीत सिंह, रविंदर सिंह बिट्टू, गुरुमीत सिंह कोहाट, राजा अरविंदर सिंह, परमजीत सिंह मक्कड़, जतिंदर सिंह बॉबी, बख़्शिश सिंह, हरविंदर सिंह तथा हरजीत सिंह बाउंस आदि इस मौके पर मौजूद थे।

Comments