प्लास्टिक उद्योग के विकास से देश में पैदा होंगे रोजगार, आत्मनिर्भर बनेगा भारत
बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली। आयात पर देश की निर्भरता को कम करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को ध्यान में रखते हुए ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए)ने देश में प्लास्टिक के सामान के आयात पर एक विस्तृत अध्ययन किया है। इस अध्ययन के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 37,500 करोड़ रुपये के प्लास्टिक के सामान का आयात किया गया। इसमें 48फीसद सामान का आयात चीन से किया गया। विस्तृत विश्लेषण के बाद एआईपीएमए ने आयात पर निर्भरता कम करने और देश में प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने के मकसद से 550प्लास्टिक उत्पाद का चयन किया है। इस अध्ययन के आधार पर अनुमान जताया गया है कि आयात निर्भरता के बजाय घरेलू स्तर पर 37,500करोड़ रुपये के प्लास्टिक के सामान के उत्पादन के लिए हर साल देश में लगभग 4 मिलियन टन कच्चे माल और16,000 से अधिक प्लास्टिक प्रॉसेसिंग मशीनों की आवश्यकता होगी,जिसमें उपकरण, मोल्ड्स, जिग्स और फिक्स्चर शामिल हैं। इससे देश में 5लाख अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
राजधानी के प्रेस क्लबऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री मयूर डी. शाह और एआईपीएमए की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष श्री अरविंद मेहता ने संबोधित किया। श्री मयूर डी शाह ने कहा कि प्लास्टिक उद्योग देश में सालाना 3.5 लाख करोड़ रुपये के सामान का निर्माण करता है और देश की अर्थव्यवस्था में इसका प्रमुख योगदान है। उन्होंने कहा कि भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए भारत दुनिया का प्रीमियम सप्लाई हब बन सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्लास्टिक उद्योग इस समय देश में 5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इसकी 50,000प्रॉसेसिंग यूनिट्स हैं, जिनमें 90 फीसदी छोटे और मध्यम उद्यमों से संबंधित हैं। यह प्लास्टिक उद्योग भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में अहम भूमिका निभाएगा। श्री मयूर डी शाह ने कहा कि यह सम्मेलन उत्पादकों और आयातकों के बीच सीधे संवाद के लिए एक मजबूत मंच के रूप में काम करेगा। इस दौरान स्टॉल भी लगाए जाएंगे,जिनमें आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू स्तर पर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अहम तकनीकों और उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।
प्लास्टिक के सामान के आयात पर निर्भरता कम करने और देश में प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने के मकसद से एआईपीएमए छह प्रौद्योगिकी सम्मेलनों का आयोजन कर रहा है। इन सम्मेलनों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग, भारत सरकार, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार से समर्थन प्राप्त है। इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक के सामान के आयात पर निर्भरता को कम करना और "मेक इन इंडिया - मेक फॉर द वर्ल्ड" के तहत घरेलू उद्योगों को प्लास्टिक के सामान के उत्पादन में मदद मुहैया कराना है।
इसके लिए दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में 26 मई, 2023 को पहला प्रौद्योगिकी सम्मेलन आयोजित किया जाएगा,जिसमें400 से अधिक उद्योगों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी,उद्योग जगत के जानकार, शोधकर्ता और उद्यमी शामिल होंगे। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा करेंगे। इस मौके पर भारत सरकार के अधीन रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग के सचिव श्री अरुण बरोका,केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री मर्सी एपाओ के साथ-साथ भारत सरकार और उद्योग जगत के दिग्गज भी मौजूद होंगे।
एआईपीएमए की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष श्री अरविंद मेहता ने कहा कि "डिजिटल इंडिया", "मेक इन इंडिया" और "स्किल इंडिया" जैसी केंद्र सरकार की पहल से भी भारत के प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। उदाहरण के लिए, "आत्मनिर्भर" पहल के तहत, सरकार का लक्ष्य अन्य देशों से उत्पादों के आयात पर निर्भरता को कम करना है। इससे स्थानीय प्लास्टिक उत्पादकों को फायदा मिलेगा। श्री अरविंद मेहता ने कहा कि यह छह सम्मेलन, आयात पर निर्भरता कम करने से परिणामस्वरूप स्थानीय प्लास्टिक सामान निर्माताओं के लिए प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक अवसरों की संभावना पर केंद्रित होंगे।
उन्होंने कहा कि इन सम्मेलनों के दौरान आयातित प्लास्टिक उत्पादों के कई प्रदर्शन/नमूने भी प्रदर्शित किए जाएंगे। सम्मेलन में प्लास्टिक उद्योगों को उनके उत्पादों के लिए देश भर में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के मकसद से आवश्यक तकनीकी और व्यावसायिक रोडमैप पर भी चर्चा की जाएगी। श्री मेहता ने कहा कि उद्योगों को आयात पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। श्री मेहता ने बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य नवीनतम तकनीकों और उत्पादों का आदान-प्रदान करना है ताकि आयात पर निर्भरता को कम करते हुए घरेलू स्तर पर प्लास्टिक उत्पादों के तीव्र विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।
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