पीएण्डजी शिक्षा...

'पीएण्डजी शिक्षा' ने बच्‍चों की शिक्षा को फिल्म के माध्यम से उभारकर दर्शाया

कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। पीएण्डजी इंडिया के प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम, पीएण्डजी शिक्षा ने मुंबई में एक चर्चा में विचार-विमर्श के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में छिपे हुए मुद्दे, जिसे “इनविजिबल गैप” कहा जाता है, पर रोशनी डालने के लिए अपनी तरह की अनूठी पहल की शुरुआत की। इस दिशा में किये गये अध्‍ययनों से यह संकेत मिलता है कि स्कूल में बहुत से छात्र क्लास में पढ़ाए जाने वाले पाठ को समझने में बाकी छात्रों से अक्सर पीछे रह जाते हैं। एक कॉन्सेप्ट, एक विषय, एक कक्षा का मुद्दा गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है। जब बच्चा पढ़ाई में कमजोर होता है और पारिभाषित सिलेबस के अनुसार उसका सीखने-समझने का स्तर उस लेवल तक नहीं होता, जिस स्तर की उससे उम्मीद की जाती है तो शिक्षा के क्षेत्र में नजर ना आने वाली कमियां जन्म लेती हैं।

यह विचार-विमर्श शिक्षा के क्षेत्र में ‘अदृश्य कमियों को दूर करने’ की थीम पर आधारित था। पैनल में हुई इस चर्चा का संचालन लेखक और पूर्व पत्रकार प्रियंका खन्ना ने किया। इस पैनल में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री शेफाली शाह, पीएण्डजी इंडिया में ब्रैंड ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट गिरीश कल्याणरामन, एजुकेशनल इनिशिएटिव्स के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट रितेश अग्रवाल और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में बना की सेर के गवर्नमेंट हाई स्कूल में गणित के टीचर सागर सिंह शामिल है। पैनलिस्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में नजर आने वाली कमियों को समझाने के लिए तरह-तरह से नए-नए विचार रखे।

बच्चों को कोई विषय या अवधारणा समझ में न आने पर कैसे यह बच्चों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और किस तरह बच्चे उस विषय को समझने में उलझे रहते हैं। इस मोड़ पर सही मदद या समर्थन न मिलने पर वह पढ़ाई छोड़ देते हैं या अपनी जिंदगी के बाद के चरणों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पैनल में इस बात पर भी चर्चा हुई कि प्रमुख भागीदारों, जिसमें शिक्षक, कॉरपोरेट्स और समाज शामिल हैं, शिक्षा के क्षेत्र में ना दिखाई देने वाली कमियों को दूर करने के लिए किस तरह अपनी भूमिका निभा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत में हरेक बच्चा किसी विषय को उसके संदर्भ के साथ अच्छी तरह से समझें। इस विचार विमर्श के बीच पीएण्डजी शिक्षा ने अपनी तरह की अनोखी कैंपेन फिल्म का प्रदर्शन किया। यह फिल्म सोचने पर मजबूर कर देने वाली एक लड़की बिंदिया की कहानी है, जो कक्षा में किसी विषय को अच्छी तरह न समझ आने की समस्या से जूझ रही है और उसे कक्षा में इस मुश्किल से पार पाने के लिए के लिए संघर्ष करना पड़ता है।       

  

पीएण्डजी शिक्षा द्वारा आयोजित सेशन में हुई गहन चर्चा और इस नई फिल्म का मकसद शिक्षा प्रणाली में इस नजर न आने वाले अंतर को समाज के सामने लाना था। जैसा कि नैशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 में संकेत किया गया था, पी एंड जी शिक्षा का उद्देश्य समाज में जागरूकता लाना और उस कमी को दूर करने के लिए सार्थक कदम उठाना था, जो इस देश के 6* करोड़ से ज्यादा बच्चों पर प्रभाव डाल रही है। इस प्रोग्राम से बच्चों में किसी विषय को समझने और उसे याद रखने की कमी को दूर करने के लिए पीएण्डजी शिक्षा ने जमीनी स्तर पर अपने विभिन्‍न प्रयासों को जारी रखा है। बिंदिया की दिल को छू लेने वाली मार्मिक कहानी पर बनाई फिल्म बच्चों में लर्निंग गैप को दूर करने के लिए लोगों से सामूहिक रूप से कार्रवाई का आग्रह करती है, जिसमें वह अलग-अलग बच्चों में किसी विषय को न समझने और याद न करने की परेशानी की अच्छी तरह पहचान कर सकें और इस कमी को दूर करने के लिए सुधार के कदम उठाने में अपनी ओर से योगदान् दे सकें।

अभिनेत्री शेफाली शाह ने इस मौके पर कहा,  “मेरा मानना है कि शिक्षा किसी बच्चे की पूरी क्षमता को सामने लाने के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है। मैं जानती हूं कि बच्‍चों के लिए पढ़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण है, यह मेरे बच्‍चों के साथ मेरा खुद का अनुभव है, पर पीएण्डजी शिक्षा के साथ इस भागीदारी से बाद मुझे पढ़ाई में आमतौर पर नजर ना आने वाली कमियों (#InvisibleGaps) की जानकारी मिली, जो पढ़ाई के मौजूदा स्तर से तालमेल बिठाने में पीछे छूटने वाले बच्चों की बड़ी संख्या को प्रभावित करती है। यह देखकर काफी खुशी होती है कि पीएण्डजी शिक्षा ना सिर्फ पढ़ाई के क्षेत्र में नजर न आने वाले अंतर की पहचान करने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि इसे दूर करने के लिए जमीन पर प्रासंगिक कदम भी उठा रही है। कार्रवाई जागरुकता के साथ शुरू होती है और मुझे खुशी है कि मैं पीएण्‍डजी शिक्षा के साथ इस सफर का हिस्‍सा बन सकती हूं। जब हम सभी इस दिशा में अपनी भूमिका निभाएंगे तो हम एक ऐसा माहौल तैयार करने में मदद कर सकते हैं जहां हर बच्‍चे को संपूर्ण शिक्षा के माध्‍यम से अपनी पूरी क्षमता हासिल करने का प्रोत्‍साहन मिलेगा।”     

पीएण्डजी इंडिया में मार्केटिंग ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट गिरीश कल्याणरामन ने नई फिल्म के बारे में बताते हुए कहा, “पीएण्डजी शिक्षा 18 साल पहले अपनी शुरुआत से लेकर अब तक लाखों वंचित बच्चों की शिक्षा तक पहुंच उपलब्ध हासिल करने का निरंतर अथक प्रयास कर रही है। हम अपनी तरह के अनोखे कैंपेन और बिंदिया की कहानी से इस सफर को आगे ले जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य देश के करोड़ों बच्चों पर प्रभाव डालने वाली समस्या के प्रति पूरे देश में जागरूकता उत्पन्न करता है और लोगों से शिक्षा के क्षेत्र में इस अदृश्य कमी को दूर करने के लिए सार्थक कदम उठाने का आग्रह करना है। हमारा उद्देश्य उस बात को विशेष रूप से उभारना है, जिसे अक्सर गलत समझ लिया जाता है। अगर बच्चा शैतान हो गया है और पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं ले रहा है तो इसका कारण विषय समझ न लाने की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब बच्चों का किसी विषय को समझने और पढ़ने का स्तर उस लेवल से मेल न खाता हो, जिसकी बच्चे से अपेक्जाती है।

एजुकेशनल इनीशिएटिव्स के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट  रितेश अग्रवाल ने कहा, “हमारा विश्वास है कि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा पाने का अधिकार है। पीएण्डजी शिक्षा के साथ हमारी भागीदारी से हम इस महत्वाकांक्षा को उन समुदायों के लिए वास्तविकता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा बच्चे के व्यक्तित्व पर प्रभाव  डाल सकती है। हमें उम्मीद है कि यह पहल दूसरे लोगों को भी हमारी मुहिम का समर्थन करने के लिए प्रेरित करेगी। ईआई द्वारा विकसित माइंडस्पार्क टूल से हम स्कूलों में कमजोर बच्चों की पहचान कर सकते हैं और उनके लिए व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई की राह आसान बना सकते हैं।

पीएण्डजी इंडिया के प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम, पीएण्डजी शिक्षा 2005 से वंचित बच्चों को पढ़ाई तक पहुंच दिलाने की दिशा में प्रयास कर रहा है। बनाई गई फिल्म मे बच्चो के बौद्धिक विकाश को दर्शाता है। इस नई कैंपेन फिल्म में बिंदिया की मर्मस्पर्शी और दिल को छू लेने वाली कहानी है,स्कूलों मे होने अपिरओ को, जिसे कक्षा में विषय को बेहतर ढंग से समझ ने की समस्या है और वह इससे ए निरंतर जूझती रहती

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