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राष्ट्रीय सैनिक संस्था के 16 वें राष्ट्रीय अधिवेशन मे पूर्व सैनिकों के लिए उठाई मांग

कुलवंत कौर, संवाददाता 

उत्तराखंड। राष्ट्रीय सैनिक संस्था के 16 वें राष्ट्रीय अधिवेशन मे बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उत्तराखंड के राज्यपाल माननीय लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा की देश मे जब भी कभी कोई प्राकृतिक या मनुष्य निर्मित आपदा आती है, साधारणतय फौज को बुला लिया जाता है और स्थिति नियंत्रण मे भी आ जाती है। यह फौज के प्रत्येक सिपाही की कर्तव्यनिष्ठा, प्रशिक्षण, अनुशासन और ईमानदारी के कारण संभव हो पाता है। आज देश मे करीब 20 लाख ऐसे पूर्व सैनिक मौजूद है जो मुख्य धारा से मिलकर देश की प्रगति मे सहयोग दे सकते है। यह विचारणीय विषय है।

पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक प्रोफेसर पवन सिन्हा गुरु जी ने कहा की एक सिपाही को प्रशिक्षित करने मे लंबा समय और बड़ा खर्चा लगता है इसलिए मूल्यों पर आधारित इस खजाने को व्यर्थ मे नही जाने देना चाहिए।

विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा की जैसे राजनैतिक पार्टियां आपस मे Common Minimum Programme के आधार पर मिल जाती हैं वैसे ही देश के धर्म गुरुओं को एक मंच पर आकर Common Minimum Programme स्थापित करना चाहिए और इस प्रोग्राम मे पूर्व सैनिकों की भूमिका को शामिल करना चाहिए।

लेफ्टिनेंट जनरल अश्वनी कुमार बक्शी, लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग, मेजर जनरल ओपी सोनी और मेजर जनरल एमएल असवाल ने अपने अपने शब्दों मे कहा की सिपाही का बलिदान इसलिए सर्वोच्च माना जाता है की क्योंकि वो उसे एक बार ही दे सकता है इसलिए इसे सर्वोच्च बलिदान कहते हैं। सर्वोच्च बलिदान को सम्मान भी सर्वोच्च ही मिलना चाहिए। इसका बेहतरीन रास्ता है की पूर्व सैनिकों को जिन्होंने अपने जवानी का एक लंबा समय विषम परिस्थतियों मे मौत और दुश्मन के साये मे गुजारा है उन्हे लोक तांत्रिक संस्थानों मे मनोनीत किया जाए।

राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने कहा की देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार भी एक आपदा बन चुका है। इसे कम करने का सबसे अच्छा, सबसे तेज और  सबसे प्रभावी रास्ता है की नीचे से ऊपर तक प्रत्येक विभाग मे एक गौरव सेनानी को सांकेतिक वेतन के ऊपर नियुक्त कर दिया जाए। भ्रष्टाचार नियंत्रण, राष्ट्रीय एकीकरण और चरित्र निर्माण स्वत : ही प्रारंभ हो जाएंगे।

इस अवसर पर अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स के श्री रमेश अग्रवाल जी को राजीव जोली खोसला द्वारा 14 क्रांतिकारी वीरों की तस्वीर वाली घड़ी भी दी गई, विश्व योगा चैंपियन दिव्याग तेजस्वी शर्मा, गौरव सेनानी महावीर प्रसाद चमोली, गौरव सेनानी बी पी शर्मा और राष्ट्रीय सैनिक संस्था की हापुड़ इकाई ( श्रीमती सुमन त्यागी ) को सम्मानित किया गया।

कर्नल एम के शर्मा, प्रोफेसर नीलम पवार, श्रीमती रमा महाजन, संगीता, निषिता दीक्षित,  स्वेता तलवार, सीमा त्यागी, सुमन त्यागी, प्रीति तिवारी रेनू डोगरा, हितेश शर्मा, लोकेश शर्मा, निखिल खोसला, मकबूल मलिक, सुनंदा त्यागी, मजमबीका नम्बियार, लता वढेरे, ब्रिगेडियर सुनील गाओपांडे, ऐयर कमोडोर सुरेन्द्र सिंह, कर्नल किशोर उप्पल, प्रशांत पाटेल, कैप्टन दिवजेन्द्र सिंह, गौतम साहू, डा सुदर्शन, कैप्टन सुरेश चंद की तरफ से निम्नलिखित मुद्दे भी उठाए गए जिनका हजारों उपस्थित गौरव सेनानियों और देश भक्त नागरिकों ने करतल ध्वनि से स्वागत व समर्थन किया और संकल्प लिया की वो इन बिन्दुओ के क्रियांवन के लिए कुछ भी करने को तैयार है :-

1.  आज छत्रपती शिवाजी का भी जन्मदिन है। उनकी माँ “जीजा बाई” के नाम मे एक प्रशस्ती पत्र  प्रत्येक अग्निवीर की माँ को  भेजा जाए।

2.  उत्तराखंड से पलायन रोकने के लिए एक ब्लॉक मे एक स्कूल के अंदर छोटे छोटे स्कूलों का विलय कर दिया जाए, स्वास्थ के लिए नजदीक ही एक छोटा क्लिनिक या अस्पताल बनवा दिया जाए और सुरक्षा के लिए एक गाँव मे दो हलधर, दो ग्राम प्रहरी और एक कम्पाउंडर नियुक्त कर दिया जाए।

3.   गाँव के जन्मदिन मनाने की प्रथा को बढ़ावा दिया जाए 

4.  पूर्व सैनिकों को पंजाब की "Guardians of Governance” स्कीम की तरह गाँव के स्तर से राज्य के स्तर तक नियुक्त किया जाए।

राष्ट्रीय अधिवेशन मे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर, बिहार, राजस्थान, जम्मू एंड कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पोर्ट ब्लेयर, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दादरा नगर हवेली आदि के शीर्ष पदाधिकारियों ने भाग लिया। विस्तृत रिपोर्ट वेबसाइट ( www.sainiksanstha.com ) पर शेयर की जाएगी।

राष्ट्रीय सैनिक संस्था एक 22 वर्ष पुराना संगठन है। देश भक्त नागरिको और पूर्व सैनिकों का यह संगठन पूरी तरह अराजनैतिक है। इसकी शाखाएं 23 प्रदेशों मे कार्यरत है। देश भक्ति का पुनर जागरण, शहीद सिपाहियों के परिवारों का सम्मान और समाज मे व्याप्त कुरीतियों का निवारण राष्ट्रीय सैनिक संस्था के उदेशयों मे शामिल है।

 

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