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'औषधि’ ने व्यापार मेला 2022 में पेश की क्लासिकल आयुर्वेद की दुनिया

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। केरल निसंदेह आयुर्वेद का एक प्रामाणिक केंद्र है। कोट्टाकल आर्य वैद्यशाला जैसे प्रख्यात चिकित्सालयों में दुनियाभर से विभिन्न राष्ट्रप्रमुखों एवं प्रतिष्ठित लोगों का इलाज के लिए आना स्वास्थ्यसेवा के क्षेत्र में यहां की गुणवत्ता एवं नवोन्मेष को प्रमाणित करते हैं। राज्य सरकार के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ हैं, जहां लोगों को कम खर्च में इलाज मिलता है।

आयुर्वेदिक दवाओं की सरकारी कंपनी ‘औषधि’ की इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यह किफायती दरों पर आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाली देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी है। कंपनी करीब 550 दवाएं बनाती हैं, जिनमें से 37 इसके पेटेंट कराए हुए उत्पाद हैं। यह केरल के सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति करने वाली इकलौती कंपनी है। 

अब अपनी विरासत, नवोन्मेष और उत्पादों की श्रृंखला को प्रदर्शित करने के लिए ‘औषधि’ नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हो रहे व्यापार मेला (आईआईटीएफ 2022) के केरल पैवेलियन का हिस्सा बनी है। केरल पैवेलियन में बने कंपनी के स्टॉल पर पेटेंट कराए हुए उत्पादों समेत करीब 40 उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं। पेटेंट कराए हुए उत्पादों में डायबिटीज की दवा एवं पेय पदार्थ, कफ सिरप, जलने पर लगाने वाली दवा, स्फूर्ति देने वाली दवा, वेलनेस प्रोडक्ट और ब्यूटी फेसपैक जैसे कई लोकप्रिय उत्पाद हैं।

यहां आने वालों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण अन्य कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के महंगे उत्पादों की तुलना में औषधि के उत्पादों की कम कीमत है। स्टॉल के इंचार्ज नौशाद बताते हैं, ‘हम करीब 150 रुपये में ब्यूटी फेसपैक बेच रहे हैं। बाजार में इसी तरह के उत्पाद करीब 300 रुपये में उपलब्ध हैं। यही अंतर है। हम उत्तर भारत में विस्तार पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि यहां हमारे उत्पादों की बहुत मांग है।’ जो भी प्रमाणित आयुर्वेद उत्पाद खरीदना चाहता है, उसके लिए आईआईटीएफ में औषधि का स्टॉल एक वन-स्टॉप शॉप की तरह है, जहां नई दवाएं एवं स्वास्थ्य से संबंधित अन्य उत्पाद उपलब्ध हैं। 

औषधि ने 1999 में राज्य के सरकारी आयुर्वेद अस्पतालों की दवाओं की मांग को पूरा करने के लक्ष्य के साथ परिचालन शुरू किया था। उस समय इस पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा उद्योग के बिखरे हुए स्वरूप के कारण आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति बड़ी चुनौती थी। आज यह कंपनी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, ओडिशा, सिक्किम और नई दिल्ली समेत 19 अन्य राज्यों में आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति कर रही है। 

औषधि की चेयरपर्सन शोभना जॉर्ज ने कहा, ‘औषधि वेलनेस प्रोडक्ट्स में विस्तार कर रही है। अब हम कॉस्मेटिक्स पर ध्यान देंगे। त्रिशूर के पंचकर्म हॉस्पिटल में एक वेलनेस सेंटर का सफलतापूर्वक संचालन हो रहा है। इस अनुभव के आधार पर हम राज्य के विभिन्न हिस्सों में चार और वेलनेस सेंटर लॉन्च करेंगे। हमारा लक्ष्य लोगों की जीवनशैली में बदलाव लाना है। साथ ही पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं को इस तरह से लोगों के सामने पेश करना, जिससे युवा पीढ़ी आकर्षित हो, यह भी बड़ी चुनौती है। हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं।’

इस दवा कंपनी के पास अपार अवसर हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी का टर्नओवर 174 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी वर्षों से लाभ में चल रही है और राज्य सरकार को 1 करोड़ रुपये का लाभांश देने जा रही है। हालिया अध्ययन के मुताबिक, 2021 में भारत में आयुर्वेदिक उत्पादों का बाजार 51,000 करोड़ रुपये का रहा था। अध्ययन यह भी बताता है कि अगले 5 साल में यह बाजार 1,53,700 करोड़ रुपये का हो जाएगा। इससे दवा कंपनी के समक्ष संभावनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है। 

केरल का आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। निजी एवं सरकारी क्षेत्र में प्रतिष्ठित हेल्थकेयर एवं वेलनेस केद्रों की बढ़ती सूची इस पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में राज्य के बढ़ते कदमों का प्रमाण है। राज्य की समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और बेहतरीन जलवायु परिस्थितियां इस विकास को गति दे रही हैं।

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