दैनिक मजदूरों...

दिल्ली में प्रदूषण के नाम पर दैनिक मजदूरों के साथ खिलवाड़


बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सबसे पहले अगर किसी का शोषण होता है वो है, दैनिक मजदूर जो भवन निर्माण कार्य में काम करते हैं। भवन निर्माण कार्यों में लाखो मजदूर काम करते हैं जिन्हे रोजाना काम कर अपने परिवार के लिए दो रोटी का जुगाड करना पड़ता है।लेकिन अपनी नाकामियों के कारण उन लाखो मजदूर को भूखमरी के कगार पर छोड़ दिया जाता है।

कोरोना काल के बाद भवन निर्माण का काम बंद रहा,अब किसी तरह निर्माण कार्यों में तेजी आई जिससे भवन निर्माण कार्यों में लाखो मजदूर अपना गुजर बसर कर रहे थे। प्रदूषण के कारण दिल्ली में दो महीनो के लिए निर्माण कार्यों को बंद करने का आदेश तो दिल्ली सरकार ने दे दिया लेकिन उन लाखो मजदूरों का ख्याल नही किया जो रोज मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं।

सरकारी निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी, विस्ता,अन्य निर्माण कार्य चलते रहेंगे,यह दोहरी नीति  आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन गए। इस दोहरी नीति को लेकर कांग्रेस नेता अजय मेहलवाल ने  दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया की मजदूरी कार्ड केवल दिखावा है।आज भी हजारों मजदूरों को रूपया नही मिल रहा। सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा आम मजदूरों पर फोड़ रही है,अपने कोई भी निर्माण कार्य बंद नही होंगे लेकिन आम निवासी अपना किसी तरह मकान बनवा रहा होगा वहा रोक लगाना कहा तक उचित है।उन लाखो मजदूरों का ख्याल भी सरकार को रखना चाहिए। खाली 5किलो राशन देने से काम नहीं चलता अन्य घर के खर्चे भी होते है।

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