गुरुद्वारा कमेटी चुनाव...

 गुरुद्वारा कमेटी चुनाव करवाने में सरकारी बंदूक की नोक पर विपक्ष की आवाज दबाई : सरना

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। 23 जनवरी दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी का चुनाव हुए करीब एक साल हो गया। सभी पार्टियों की ओर से विभिन मुद्दों को लेकर भारी अंतर्कलह और मुकदमो के कारण सही समय पर कमेटी का गठन नही हो सका । विपक्षी पार्टियों ने निदेशक से मिलकर जल्दी हल निकालने को कहा उन्होंने 22 जनवरी को कमेटी गठन की अनुमति दी जो वोटिंग के आधार पर होनी थी। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने दावा किया की दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आतंरिक चुनाव में शनिवार को अकाली दल बादल एवं भाजपा ने मिलकर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में लोकतंत्र का कत्ल किया।

गुरु साहिब की मौजूदगी में अकाली दल ने चिटठी लिखकर गुरु घर में पुलिस बुलाई जबकि इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। सरना ने कहा कि सत्तापक्ष ने पुलिस की बंदूक की नोक पर विपक्ष का गला घोंट दिया और हाउस से संपूर्ण विपक्ष को बाहर निकाल दिया। यह सरासर अन्याय और लोकतंत्र का मजाक है। सरना ने कहा कि पुलिस ने विपक्ष को बाहर निकाल दिया, आखिरकार आधी रात को वही हुआ, जिसे अकाली दल एंव भाजपा के तथाकथित नेता चाह रहे थे। विपक्ष को बाहर निकालकर रिजल्ट घोषित कर दिया। 

सरना ने कहा कि विवाद की असली जड अस्थायी सभापति गुरदेव सिंह हैं, जिनकी बदौलत बवाल खडा हुआ और दिनभर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मीटिंग की शुरुआत के बाद जब अस्थायी सभापति के चुनाव का समय आया तो संयुक्त विपक्ष की तरफ से एसजीपीसी के अध्यक्ष एवं शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि हरजिंदर सिंह धामी का नाम आगे बढाया गया।  जिसका अकाली दल बादल के लोगों ने विरोध किया। जवाब में उन्होंने गुरदेव सिंह का नाम आगे बढ़ा दिया। जिस वजह से गुरदेव सिंह अस्थायी सभापति बन गए। सभापति बनते ही गुरदेव सिंह ने ऐलान किया कि अध्यक्ष का चुनाव हाथ खड़े करवा कर होगा।

इस पर जीके ने कहा कि इसका पुरी कमेटी ने तीखा विरोध किया। साथ ही गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह को चुनाव नियम गुरदेव सिंह को पढ़वाने की अपील की। इसके बाद निदेशक ने गुरदेव सिंह को चुनाव कराने की पूरे नियम बताए। साथ ही यह भी बताया कि मतदान की प्रक्रिया गुप्त मतदान के जरिये होती है। इसके बाद गुरदेव सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए कमेटी सदस्यों से नाम मांगा। सत्तापक्ष की तरफ से हरमीत सिंह कालका के नाम का प्रस्ताव आया। जबकि संयुक्त विपक्ष की तरफ से परमजीत सिंह सरना का नाम सामने आया। दोनों उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे की सहमति देने के बाद मतदान प्रकिया शुरू हुई। लेकिन इस बीच कमेटी सदस्य सुखबीर सिंह कालरा ने अपने हाथ में ली हुई पर्ची को साथ के सदस्य को दिखा दिया, वो किसको वोट डालने जा रहे हैं।

इसी पर उन्होंने आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि कालरा का वोट अवैध घोषित किया जाए। यहीं से विवाद शुरू हो गया। इसी बहसबाजी के बीच एक और सदस्य ने वोट डाल दिया। 51 में से 3 वोट डलने के बाद चुनाव प्रक्रिया रुक गई। कई घंटे तक चले गतिरोध के बाद भी नतीजा नहीं निकला। उनकी मांग रही कि कालरा का वोट रदद करके मतदान करवाया जाए लेकिन अस्थायी सभापति गुरदेव सिंह का कहना है कि वे हाथ खड़े करवाकर ही मतदान करवाएंगे और भारी विरोध के बाद भी चुनाव घोषित किया जिसका पुरी सिख बिरादरी घोर विरोध करती है ,जल्दी ही जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी वो की जाएगी।

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