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जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स में माहवारी के दौरान हाइजीन के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया अभियान : हैम्पस्ट्रीट 

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। भारत जैसे देश में माहवारी ऐसा विषय है जिस पर खुलकर बात नहीं की जाती, ऐसे में हमारे देश में माहवारी के दौरान हाइजीन और पीरियड्स के समय महिलाओं को होने वाली समस्याओं की अनदेखी की जाती है। दुनिया भर में कम से कम 500 मिलियन महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जिनके पास माहवारी के दौरान हाइजीन को सुनिश्चित करने के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। भारत में 77 फीसदी महिलाएं और लड़कियां, माहवारी के दौरान पुराना कपड़ा, राख, अखबार, सूखे पत्ते, भूसा आदि इस्तेमाल करती हैं। पुराने कपड़ों को तो अक्सर बार-बार इस्तेमाल किया जाता है। दरबार महिला समन्वय कमिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 40 फीसदी सेक्स वर्कर्स माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं।

हैम्पस्ट्रीट भारत का पहला रीसर्च टू रीटेल वेंचर है 

समाज के इस वंचित एवं उपेक्षित वर्ग में माहवारी के दौरान स्वच्छता और हाइजीन के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हैम्पस्ट्रीट ने जॉइन्ट टारगेट इंटरवेंशन (शक्ति वाहिनी एवं आईएमडीटी की संयुक्त पहल) के सहयोग से जीबी रोड (दिल्ली का बड़ा रैड-लाईट एरिया) की सेक्स वर्कर्स के लिए एक जागरुकता अभियान का आयोजन किया।

हैम्पस्ट्रीट भारत का पहला रीसर्च टू रीटेल वेंचर है जो प्रमुख शोध संस्थानों के साथ साझेदारी में कैनबीस आधारित आयुर्वेदिक दवाओं के विकास एवं अनुसंधान पर काम कर रहा है। अपनी इस पहल के तहत कंपनी ने क्षेत्र की सेक्स वर्कर्स को सैनिटरी पैड बांटे। दिल्ली-एनसीआर से जाने-माने डॉक्टर भी इस अवसर पर मौजूद थे, जिन्होंने माहवारी के दौरान हाइजीन के बारे में जानकारी और निःशुल्क परामर्श दिया। 

इस अनूठी पहल के बारे में बात करते हुए डॉ पूजा कोहली, एवीपी, कम्युनिटी एवं आउटरीच, हैम्पस्ट्रीट ने कहा, ‘‘हमारे समाज में, पीरियड्स और सेक्स वर्क, इन दोनों विषयों पर चुप्पी साध ली जाती है और खुल कर बात नहीं की जाती। भारत में सेक्स वर्कर्स की संख्या ठीक से ज्ञात नहीं हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक साल 2016 में यह संख्या तकरीबन 657,800 थी। इन वर्कर्स के स्वास्थ्य एवं माहवारी प्रबन्धन से जुड़े मुद्दों पर कोई खास अध्ययन नहीं किए गए हैं और इनकी पूरी तरह से उपेक्षा की जाती है। महिला सेक्स वर्कर्स को माहवारी के दौरान स्वच्छता एवं हाइजीनिक सैनिटरी पैड के इस्तेमाल के बारे में जागरुक बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था।’  

“भारत में ऐसी महिलाओं की संख्या 336 मिलियन है, जो माहवारी की उम्र में हैं, इनमें से 36 फीसदी से भी कम महिलाओं को सैनिटरी पैड उपलब्ध होते हैं और ये माहवारी के दौरान अपने स्वास्थ्य की पूरी तरह से अनदेखी करती हैं। इस तरह वंचित समुदायों की महिलाओं में जागरुकता की कमी उनके लिए घातक हो सकती है। "डॉ आशिमा सरदाना" सीनियर आयुर्वेदिक कन्सलटेन्ट, रूट्स2हील, गुरूग्राम ने कहा। सेक्स वर्कर्स की स्थिति के बारे में बात करते हुए डॉ नघमा कमल, जॉइन्ट टारगेट इंटरवेंशन ने कहा, ‘‘वैश्यालयों में साफ-सफाई न होने और माहवारी के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखने के कारण सेक्स वर्कर्स में यूटीआई, हेपेटाईटिस बी और रिप्रोडक्टिव टै्क्ट इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। जॉइन्ट टीआई दिल्ली के रैड लाईड क्षेत्रों में सेक्स वर्कर्स को माहवारी के दौरान हाइजीन एवं एचआईवी-एड्स के बारे में जागरुक बनाने के लिए काम कर रहा है।’

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं और इस दौरान हाइजीन के बारे में जागरुक बनाना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है। ताकि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। जीबी रोड पर काम करने वाली सेक्स वर्कर्स अक्सर अपनी किशोरावस्था में ही यहा पहुंच जाती हैं। ऐसे में वे माहवारी के दौरान हाइजीन के बारे में जागरुक नहीं होतीं। इन स्थानों की अस्वच्छ परिस्थितियों, कई सेक्स पार्टनर्स और इस्तेमाल किए जाने वाले कंडोम की बुरी गुणवत्ता के चलते उनके एसटीआई, यूटीआई की संभावना बढ़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हैम्पस्ट्रीट ने इस जागरुकता अभियान का आयोजन किया है।


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