'शिक्षा दान महादान'...


 'शिक्षा दान महादान' : खुर्शीद आलम

पूर्वी दिल्ली ।

आज आपके सामने हम लाये है ऐसी खबर जो निस्वार्थ भाव से की जा रही वार्तालोक ट्रस्ट की है। जी हाँ आज हम बात कर रहें है वार्तालोक ट्रस्ट के चेयरमेन - खुर्शीद आलम की। 

कहते हैं कि 'शिक्षा दान महादान' होता है, इससे बढ़कर कोई दान नहीं होता है. फिर असहाय और गरीबों को बिना किसी स्वार्थ और शुल्क के सेवा के रूप में यह दान दिया जाए, उस व्यक्ति की महानता और भी बढ़ जाती है। पूर्वी दिल्ली के खुर्शीद आलम वैसे तो समाज सेवी कार्यों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं।  लेकिन आज उनके और सराहनीय कार्य से हम आपको रूबरू करवाते हैं। खुर्शीद आलम गरीब और असहाय बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाए गए बच्चे जीते जागते ह्यूमन कंप्यूटर बन गए हैं। जो बच्चे कल तक स्कूल से भी दूर थे, आज खुर्शीद आलम के पास पढ़कर वह पलक झपकते ही गणित के कठिन से कठिन सवाल भी सुलझा देते हैं।


खुर्शीद आलम स्वयं खुले आसमान के नीचे शिक्षा केंद्र चलाते हैं। यहां गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है, ताकि कोई भी बच्चा पैसों के आभाव में पढ़ाई से वंचित न हो सके। खुर्शीद रोज सुबह को इसी तरह गरीब बच्चों को पढ़ाकर उन्हें जिंदगी में बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

खुर्शीद के इस शिक्षा केंद्र में इस समय 120 बच्चे निशुल्क पढ़ाई करते हैं।  खुर्शीद बताते हैं की इस निशुल्क शिक्षा केंद्र की शुरूआत 2018 में की गई थी। आगे जानकारी में बताया की वह सुबह सुबह ताज़ी हवा लेने घूमने निकलते थे तो जमना किनारे उन्होंने देखा की यहाँ बहुत परिवार रहते है और कूड़ा बिनने का काम करते है, सब्जी, फल, बेच कर अपना और परिवार का जीवन यापन कर रहे है। परन्तु उनके बच्चे शिक्षा से वंचित है। तब उन्होंने इन बच्चों को देखा था, तभी से उन्होंने यहां नि:शुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया।

अठखेलियां करने में गुजरता था दिन खुर्शीद के पास पढ़ने वाले छात्र सनी ने बताया की वह शनि मंदिर पर फूल, दीये,धूपबत्ती की दुकान लगाता था उसका पूरा दिन मंदिर  में अठखेलियां करने में गुजरता था। हम सभी बच्चों को घाट पर आकर खुर्शीद आलम ने अपने पास बुलाया और उन्हें कुछ ना कुछ गिफ्ट देकर अपनी मुफ्त क्लास में बैठाने के लिए मना लिया। बच्चों के दिल में शिक्षा की अलख कुछ इस तरह जल उठी है कि वह बड़े होकर बड़े से बड़ा अधिकारी बनना चाहते हैं।

खुर्शीद अपना मुफ्त शिक्षा को दान नहीं अपना कर्तव्य मानते हैं। खुर्शीद का स्वार्थ बस इतना है कि वह चाहते हैं कि गरीबों के बच्चे इस तरह पढ़े कि आगे चलकर आईएएस, आईपीएस बनकर देश का नाम रोशन करें।  शनि मंदिर जमना किनारे चला कर शिक्षा केंद्र को प्रचार की चकाचौंध से दूर रखने वालों में से खुर्शीद आलम एक है। असल मायनों मे सच्चे शिक्षक है। जिनका स्वार्थ गरीबों के बच्चों की बेहतरी में ही छिपा हुआ है। खुर्शीद आलम जैसे शिक्षकों की बदौलत ही आज भी शिक्षकों का मान, भगवान से भी ऊपर बना हुआ है।

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