राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को नमन
''शहीद दिवस 30-1-2019" भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को नमन''
"गाँधी हमारी चेतना में जिन्दा है" महात्मा गांधी का बलिदान स्थल सदैव मानवीय मूल्यों का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। उन्होंने अपने जीवन में प्रेम, अहिंसा, सहनशीलता तथा सर्वधर्म समभाव की प्रेरणा दी। ३० जनवरी १९४८ को समम्प्रदायिक विचारधारा ने उनकी हत्या कर दी।
पं.जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, डा. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना आज़ाद ने महात्मा गांधी के बलिदान स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का सुझाव दिया, मगर भवन के मालिक ने जहाँ गांधी जी का बलिदान हुआ था उस स्थान पर गांधी स्मारक निर्माण के प्रति उदासीनता दिखाई अन्यथा सन् १९६८ ई.में तत्कालीन सांसद शशि भूषण ने बापू शताब्दी वर्ष में गांधीवादी तरीके से अनिश्चितकालीन भूख- हड़ताल की,जिससे देशभर में जन क्रान्ति जैसा वातावरण बना।
काँग्रेस,वामपंथी,समाजवादी और प्रजा समाजवादी दल के नेताओं ने इस मांग का समर्थन किया कि गांधी बलिदान स्थल को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित किया जाए।कांग्रेस संसदीय दल की नेता श्रीमती इन्दिरा गांधी ने इस सुझाव पर ३० जनवरी १९६९ को सरकार की ओर से सहमति प्रदान की।अन्तत: बलिदान स्थल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया। शशि भूषण जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने गांधी को अपना आदर्श बनाते समय उनके तीन पक्षों को रेखांकित किया:क्रांतिकारी गांधी, सेक्यूलर गांधी और आदर्श गांधी। इसलिए गांधी बलिदान स्थल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने का संघर्ष उन्होंने ही किया।इन आदर्शों पर चलते हुए वे हमेशा सामंतवादी और कट्टरतावादी शक्तियों द्वारा निर्धन किसानों और श्रमिकों पर रहे अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष करते रहे। हमें उनका राष्ट्र को दिया अमूल्य धरोहर के लिए राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।
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