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अंग्रेजों ने किया सिखों को सनातन से लड़ाने का षड्यंत्र : सरदार इकबाल सिंह

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। सनातन, जैन, बौद्ध और सिख, इन सभी की माँ एक है, लेकिन अंग्रेजों ने सिख और सनातन में फूट डालने का षड्यंत्र कर समाज में भेद पैदा किया। ये बातें आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉ. इकबाल सिंह लालपुरा जी ने आज नई दिल्ली में आयोजित सिख गुरुओं की राष्ट्रीय दृष्टि नामक पुस्तक के लोकार्पण में कहीं। उन्होंने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में लिखा है कि प्रथम गुरु नानक देव जी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इसलिए गुरु केवल सिखों के नहीं, पूरे भारत के हैं। 

सिख साहित्य के अनुपम विद्वान रहे स्व. राजेंद्र सिंह जी की लिखी तथा संकलित पुस्तक सिख गुरुओं की राष्ट्रीय दृष्टि का लोकार्पण बुधवार, 4 सितम्बर 2024 को सरदार दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय में संपन्न हुआ। पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉ. इकबाल सिंह लालपुरा जी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के मुख्य सलाहकार सरदार परमजीत सिंह चंडोक जी ने किया तथा पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।गुरुओं का दिन मनाने वाली पहली सरकार है मोदी सरकार, परमजीत सिंह चंडोक, मुख्य सलाहकार, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी

इस अवसर पर परमजीत सिंह चंडोक जी ने कहा कि गुरुओं ने मानवता का संदेश दिया और खालसा पंथ की स्थापना की। देश में पहली बार ऐसी सरकार आई है, जो गुरुओं के दिवसों का उत्सव आयोजित कर रही है। देश की स्वाधीनता के 75 वर्षों में पहली बार इसी सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलकर वहाँ तक आम जन की पहुँच को सुगम बनाया।

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बंदा बहादुर और राजा रणजीत सिंह तक हम एक रहे हैं। बाद में अंग्रेजों ने हमें अलग करने का षड्यंत्र किया। उन्होंने काहन सिंह नाभा जैसे लोग खड़े किये, जिन्होंने आधे-अधूरे उद्धरणों से फूट डालने का कार्य किया। यह पुस्तक इन सभी षड्यंत्रों का उन्मूलन करती है।

इस पुस्तक का मूल भाव है कि सिख समाज भारत का एक अभिन्न अंग रहा है। प्रथम गुरु नानकदेव जी ने भारत को एक समग्र इकाई के रूप में प्रस्तुत किया था। वे पूरे भारत को एक समग्र रूप में देखते थे और तदनुरूप ही उन्होंने विधर्मी आक्रांताओं और उनके अत्याचारों का वर्णन किया। आज के विभाजनकारी दौर में गुरु नानकदेव की शिक्षाओं का पुनर्स्मरण करने की आवश्यकता है। इस बात को ध्यान में रख कर ही प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है। पुस्तक के लेखक स्व. राजेंद्र सिंह जी सिख साहित्य के अप्रतिम विद्वान थे और उहोंने श्रीराम जन्मभूमि मामले में सर्वोच्च न्यायालय में गवाही देते हुए सिख साहित्य में श्रीराम जन्मभूमि का उल्लेख होने के प्रमाण प्रस्तुत किये थे।

इस लोकार्पण कार्यक्रम में जीवन के विविध आयामों में समाज के लिए उल्लेखनीय योगदान के लिए सिख समाज के 14 महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्वों को सम्मानित भी किया गया। सम्मानित होने वाले महानुभावों में उत्कृष्ट श्रेणि में - श्री यदविंदर सिंह (शहीद ए आजम भगत सिंह के प्रपौत्र) अध्यक्ष, ऑल इंडिया भगत सिंह ब्रिगेड : इन्होंने शहीद ए आजम भगत सिंह की जेल डायरी का प्रकाशन मै. संधु एंड आर्गेनाइजेशन के प्रयास से प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण मार्च 2014 में माननीय श्री नरेंद्र मोदी और स्वामी रामदेव की उपस्थिति में किया गया। श्री ए आजम भगत सिंह की जब डायरी का हिंदी अवतरण 2028 में (प्रभात प्रकाशन द्वारा) का विमोचन केंद्रीय मंत्री रवि शंकर द्वारा किया गया। श्रीमती रंजीत कौर धर्म पत्नी स्वर्गीय राजेंद्र सिंह जी जिन्होंने अपने पति के साथ गुरुओं की राष्ट्रीय दृष्टि पुस्तक के सृजन में तन, मन, धन से सहयोग किया।

विशिष्ठ श्रेणी वर्ग मे, डॉ.सुरजीत कौर, पूर्व प्राचार्य, SPM कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय - इन्होंने शिक्षा और समाज के उन्नयन के लिए विशिष्ठ कार्य किया। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से समानीत किया जा चुका है। प्रमुख पुरस्कार हैं-Eminent Personality Award (1997), Award for Contribution to Commonwealth Youth Programme, Ambassador for Peace Award, Best Administrator’s Award, Bharat Jyoti Award, Award for Communal Harmony out standing contribution. उन्हें अनेक संस्थाओं और संगठनों द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. इनके अनेक शोध लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं

2.डॉ. हरबंस कौर निदेशक सिख इतिहास एवं गुरबाणी फोरम (DSGMC) : इन्होंने पंजाबी में 30 पुस्तके लिखी, इनकी 12 पुस्तकें अंग्रेजी में प्रकाशित हुई हैं इनके 100 शोध लेख प्रकाशित हुए है। लगभग 12 टी वी कार्यक्रमों में इन्होंने भाग लिया है। इन्हे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। कुछ एक के नाम प्रस्तुत हैं पंजाब एकेडमी अवार्ड, बाबा बंदा बहादुर सिंह मेमोरियल अवार्ड और अन्य पुरस्कार।

श्री इंद्र देव सिंह मुसाफिर, (सुप्रसिद्ध व्यवसायी): आप फुटवियर के व्यवसाई हैं । मुसाफिर फुटवियर से संबंधित सरकारी काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं। जस्टिस गुरिंदर सिंह (से नि) दिल्ली हाई कोर्ट : आप दिल्ली है कोर्ट में न्यायाधीश रहे हैं। बड़ी निष्ठा और न्याय के पथ पर आपका योगदान स्मरणीय है।

पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी, संस्थापक शहीद भगत सिंह सेवा दल : शांति जी का जीवन उन सभी की सेवा में तत्पर है जिन्हें उनकी आवश्यकता है। शंटी जी लावारिश मृतकों के अंतिम संस्कार करता के रूप में प्रसिद्ध हैं। कोरिया काल में उनके द्वारा जो पीढ़ित मानवता की सेवा उन्होंने की वह अद्वितीय है। उन्होंने 4400 मृतकों का अंतिम संस्कार कर अपने कर्तव्य का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।श्री आर पी सिंह, पूर्व विधायक एवं समाज सेवी श्री बलदेव सिंह ढिल्लो, समाज सेवी: बलदेव सिंह जी समाज के है क्षेत्र में जन हित के कार्यों में हर समय अपना योगदान देते हैं।

श्री गुरमीत सिंह लेखक एवं ज्योतिषी : आप का अंक शास्त्र और ज्योतिष ज्ञान का लाभ आम जनता को बराबर मिलता रहता है। युवा नेता रणधीर सिंह कालेर : आप संगरूर में बहुत सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए है। मालवा क्षेत्र में इनकी पहचान युवा नेता के रूप में कर रहे हैं। उनसे समाज को बहुत आशाएं हैं।अर्जुन पाल सिंह मारवाह: आप एक समाजसेवी हैं तथा लाजपत नगर में पार्षद के रूप में आम जनता को सेवाएं दे रहे हैं।

कार्यक्रम में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंध कमिटी, राष्ट्रीय सिख संगत के पदाधिकारियों तथा सदस्यों सहित बड़ी संख्या में सिख समाज के महत्त्वपूर्ण लोग उपस्थित थे।

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