जो जत्थेदार...

जो जत्थेदार रह चुका हो, वही अकाल तख्त साहिब पर सवाल उठाए तो कौम की दिशा क्या होगी : सरना

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई जसवीर सिंह रोड़े, जो कि बीसवीं सदी के महान सिख संत ज्ञानी जरनैल सिंह भिंडरांवाले के भतीजे भी हैं, और इसी कारण से उन्हें पंथ में हमेशा सम्मान मिलता रहा है। उन्होंने गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली में कथा करते हुए तख्तों के सिंह साहिबानों और पंथ की अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं पर कई प्रकार के तंज कसे और सवाल उठाए। जो व्यक्ति स्वयं श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार रह चुका हो, यदि वह अब खुद तख्त साहिब के जत्थेदार की भूमिका पर सवाल उठाए, तो कौम दिशा कहाँ से लेगी?

इसी के साथ पंथ की प्रमुख संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करते समय, भाई रोड़े ने दिल्ली कमेटी को कोई नसीहत क्यों नहीं दी?यह आरोप लगाए हैं शिरोमणि अकाली दल दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह सरना ने,उन्होंने कहा की जो प्रतिदिन सिख मर्यादा और श्री अकाल तख्त साहिब का अनादर कर रही है,भाई रोड़े ने दिल्ली कमेटी को इस जिम्मेदारी का एहसास क्यों नहीं कराया। वही दिल्ली में श्री साहिब धारण करने के कारण किसानों के नेताओं को रोकते समय उन तक पहुंचना दिल्ली कमेटी का नैतिक कर्तव्य था। सरना ने बयान दिया कि,भाई रोड़े ने यह सवाल क्यों नहीं किया कि दिल्ली कमेटी दिल्ली में पंथक संस्थाओं को बर्बाद क्यों कर रही है? क्या भाई रोड़े सिर्फ दूसरों को ही नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहते हैं या फिर उनमें यह हिम्मत नहीं है कि वे बीजेपी की खुली शह पर चल रही दिल्ली कमेटी के बारे में भी कुछ बोल सकें?

भाई जसवीर सिंह रोड़े की कार्यशैली के बारे में खुफिया एजेंसियों के अधिकारी एम.के.धर ने अपनी चर्चित किताब 'खुले भेद' में कई चौंकाने वाले खुलासे करते हुए महत्वपूर्ण सवाल कई साल पहले उठाए थे। उन सवालों के जवाब या इतिहास में अपनी भूमिका के बारे में भाई रोड़े ने आज तक स्पष्ट नहीं किया है। परंतु वे सिंह साहिबानों को इतिहास में उनकी भूमिका के बारे में उपदेश दे रहे हैं।यह संगत के हित में नहीं।

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