भगवंत मान...

भगवंत मान पतित होने के बाद भी अकाल तख्त साहिब में हुए नतमस्तक : सरना

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने परिवार सहित तख़्त श्री हज़ूर साहिब में नतमस्तक हुए। यह उनकी श्रद्धा है, जिस पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। कोई भी व्यक्ति अपनी श्रद्धा और सम्मान अर्पित करने के लिए गुरुद्वारे में आ सकता है। लेकिन तख़्त साहिब से, उनके पतित होने के बावजूद, सिरोपा देना एक बड़ी गलती है। क्योंकि तख़्त साहिब से गुरु की मोहर उस व्यक्ति को कैसे दी जा सकती है, जिसने अपने केशों की बेअदबी की है और जो पतित है? तख़्त साहिब की अपनी मर्यादा है, जिसका पालन किया जाना चाहिए था। अगर तख़्त साहिब से पतित व्यक्तियों का सम्मान होगा, तो सिखी को नष्ट होने से हम कैसे रोक पाएंगे?

तख़्त साहिब के सम्मानित जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलवंत सिंह जी बहुत ही सहृदय और समझदार व्यक्ति हैं, जिनका सिख पंथ में बहुत सम्मान है। मुझे हैरानी है कि उनके तख़्त साहिब के जत्थेदार होते हुए इस तरह के पतित व्यक्ति का सम्मान तख़्त साहिब से हुआ है। उन्हें भी इस बारे में जरूर सोचना चाहिए, क्योंकि मर्यादा का उल्लंघन करने के लिए हम कलगीधर पातशाह के प्रति जिम्मेदार होंगे। 

भगवंत मान न केवल पतित हैं, बल्कि वे खुद को सिख भी नहीं मानते। ऐसे सिखी से इंकार करने वाले व्यक्ति का तख़्त साहिब से सम्मानित होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या पंजाब का मुख्यमंत्री होना पतित होने के कृत्य को उचित ठहरा देता है? मेरा भगवंत मान से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, लेकिन मेरा मानना है कि तख़्त साहिब की मर्यादा का ख्याल रखा जाना चाहिए था। मैं भगवंत मान को भी सलाह देता हूं कि कलगीधर पातशाह जी का यह महान तख़्त है, जहां से आपको भले ही गलती से सिरोपा मिल गया है, अब आपको इस उपहार का सम्मान करते हुए भविष्य में केश और दाढ़ी का अपमान करना छोड़ देना चाहिए और एक पूर्ण सरदार बनना चाहिए तथा नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।

इस संबंध में, मैंने इस पवित्र स्थल के मुख्य प्रशासक श्री विजय सतबीर सिंह से बात करके एक नम्र सिख के रूप में अपने दिल की बात साझा की, तो उन्होंने माफी मांगते हुए यह वादा किया है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। मैंने उनसे तख़्त साहिब में क्षमा याचना करने की अपील की है, और उनकी आवाज़ से स्पष्ट हो रहा था कि अब उन्हें दिल से पछतावा है। वे आगे से तख़्त साहिब की मान-मर्यादा को बनाए रखेंगे। साथ ही मेरा उन सम्मानित सिख व्यक्तियों से भी सवाल है, जो उस समय साथ थे, कि जो कुछ हुआ, क्या वह सही था और हम गुरु को क्या मुंह दिखाएंगे?

इन शब्दों का उद्घोष शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष श्री परमजीत सिंह सरना ने जारी प्रेस बयान के माध्यम से किया।

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