आध्यात्मिक वन माँ...

आध्यात्मिक वन माँ रुद्राणी धाम रुरिया में रामायण वाटिका स्थापित हुई

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। रामायण वाटिका स्थापित - स्वदेशी समाज सेवा समिति के सौजन्य से स्थापित पर्यावरणीय एवम आध्यात्मिक वन माँ रुद्राणी धाम रुरिया में रामायण वाटिका स्थापित हुई | देश विदेश में पाई जाने वाली वनस्पतियों को अनूठे ढंग से संरक्षित करने वाली स्वदेशी समाज सेवा समिति ने विश्व की प्रथम रामचरित मानस वाटिका, महाभारत वाटिका, श्रीकृष्ण वाटिका, सप्तऋषि वाटिका, यज्ञ वाटिका, शिव वाटिका , श्रीमद्भगवद्गीता वाटिका आदि वाटिकाये स्थापित कर यह रामायण वाटिका स्थापित की हैं।

वाटिका में वाल्मीकि रामायण में वर्णित एवम वाल्मीकि रामायण की पर्यावरण चेतना के लेखक श्री महेंद्रप्रताप सिंह पूर्व मुख्य वन सरंक्षक उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड की संजीवनी बूटी से लेकर श्रीलंका में पाई जाने वाली नागकेशर सहित 126 वनस्पतियों को संरक्षित किया जा रहा हैं |वाल्मीकि रचित रामायण के अरण्य कांड नामक खंड में श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास का विवरण हैं | अयोध्या से श्रीलंका तक की यात्रा में श्रीराम भारतीय उपमहाद्वीप के छह वनों से होकर गुजरे | इसमें चित्रकूट, दंडकारण्य , पंचवटी, किष्किंधा , अशोक वाटिका, द्रोणागिरि वन शामिल है | इन वनों को उष्ण कटिबंधीय पर्ण पाती वन , शुष्क पर्णपाती वन , शुष्क एवम नम पर्णपाती वन , सदाबहार वन , एल्पाईन वन भी कहा जाता हैं | इन वनों के भी चार गुण हैं जिन्हें शांत, मधुर, रौद्र, वीभत्स वनों की संज्ञा दी गई हैं। इसी के आधार पर इन वनों में वनस्पतियां पाई जाती हैं।

रामायण काल के इन वनों में वर्तमान में भी अधिक परिवर्तन नहीं हुआ है और यहाँ हर तरह की बहुउपयोगी और दुर्लभ वनस्पतियों को सरंक्षित कर रामायण वाटिका में मुख्य अतिथि सुदिती ग्लोबल एकेडमी मैनपुरी के संस्थापक डॉ. राममोहन , सुदिती ग्लोबल एकेडमी मैनपुरी की प्रधानाचार्य डॉ. कुसममोहन अध्यक्षता कर रहे के.के.पी.जी.कॉलेज इटावा के समाज शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. उदयवीर सिंह यादव , विशिष्ट अतिथि पान कुँवर इंटरनेशनल स्कूल इटावा के संस्थापक डॉ. कैलाश चन्द्र यादव , नरसिंह ग्लोबल एकेडमी सिरसागंज के प्रबंधक डॉ. राघवेंद्र सिंह , चतुरा देवी मैमोरियल इंटर कॉलेज नगला खंगर के प्रबंधक विजय तोमर , माँ नारायणी इंटर कॉलेज जसवंतनगर के प्रबंध निदेशक मोहित यादव समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवम उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के पूर्व सदस्य प्रोफेसर अजब सिंह यादव , समिति के संस्थापक सचिव एवम जिला पर्यावरण समिति फिरोजाबाद के सदस्य विवेक यादव ' रुद्राक्ष मेन ' ने पौधे रौपित किए।

रामायण वाटिका में इस काल खंड की वनस्पतियों के साथ ही रामायण की भी विस्तृत जानकारी मिलेगी । इसके लिए पूरी वाटिका में बोर्ड लगाए हैं, जिनमे चित्र के साथ वनस्पतियों और श्रीराम की यात्रा का वर्णन भी किया गया हैं। किस वन में श्रीराम किस समय रहे और कौन सी वनस्पतियां उक्त वन में पाई जाती हैं। वाटिका में चित्रकूट की कंटकारी , असन, श्योनाक, ब्राह्मी, दंडकारण्य की अर्जुन, टीक, पाडल, गौब, बाकली, पंचवटी की सेमल, सफेद तिल, तुलसी, किष्किंधा की चंदन ,रक्त चंदन, ढाक, नक्तमलका, मंदारा ,मालती, मल्लिका, कमल, अशोक वाटिका की नागकेशर , चंपा, सप्तरणी, कोविदारा, द्रोणागिरि की संजीवनी, विशल्य करणी , संधानी, सुवर्णकर्णी , रुद्रवंती, और जीवंती समेत अन्य 126 वनस्पतियों को सरंक्षित किया जा रहा हैं।

किस स्थान पर है रामायण काल के वन - चित्रकूट का अर्थ है अनेक आश्चर्यो वाली पहाड़ी। यह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से मध्यप्रदेश तक स्थिति हैं | वनवास के बाद भगवान श्रीराम ने पहला निवास यहीं किया था। - दंडकारण्य वन , यहाँ दंडकारण्य नामक दानव निवास करता था जिसका श्रीराम ने संहार किया था | यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से तेलंगाना तक फैला हैं। - पंचवटी महाराष्ट्र के नासिक जिले से गोदावरी नदी के किनारे हैं। यहाँ से लंका नरेश रावण ने सीता माता का हरण किया था। - किष्किंधा, यहाँ श्रीराम की भेंट हनुमान और सुग्रीव से हुई थी। यह कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में स्थित हैं - अशोक वाटिका, यह श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर स्थित हकगला वनस्पति उद्यान में है। यहां रावण ने सीता माता को बंदी बनाकर रखा था। रामायण काल खंड में भगवान श्रीराम के वनवास के समय की सैकड़ों वनस्पतियों का वर्णन वाल्मीकि रामायण में किया गया है | इनमें से कई वनस्पतियां बेहद दुर्लभ और उपयोगी है | समय के साथ इनमें किसी तरह का बदलाव भी नहीं हुआ है | इन वनस्पतियों को सरंक्षित करने से रामायण कालीन वातावरण का एहसास होगा |इस अवसर पर रोली यादव ,सतेंद्र यादव , सर्वेश तोमर आदि लोग उपस्थित थे।

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