इंद्रपुरम, गाजियाबाद में 900 करोड़ का आवास घोटाला
बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली। इंद्रपुरम, गाजियाबाद, में खुले आम में रोड पर 900 करोड़ का आवास घोटाला हो रहा हे, जैसा सुपरटेक ट्विन टावर नोएडा में कुछ साल पूर्व हुआ था और वह बिल्डिंग डेमोलिश करनी पड़ी थी। यह सब घोटाला सरकारी विभागों की आंखों के सामने हो रहा है। बैंक सहयोग आवास समिति लिमिटेड, गाजियाबाद (यूपी सोसायटी अधिनियम के तहत निगमित सहकारी समूह आवास सोसायटी रजिस्टर्ड नंबर 1486 दिनांक 21-01-1991) डीपीएस स्कूल के पास की जमीन 2001 में तत्कालीन सचिव संजीव पुरी के निधन के बाद से विवादों में घिरी हुई थी, अध्यक्ष बी के अग्रवाल और के सी आर्या पर धन के गबन और उनके सहयोगियों के साथ आरोप लगाया गया था। बैंक सहयोग आवास समिति लिमिटेड गाजियाबाद के पदाधिकारियों के खिलाफ समय-समय पर जाली दस्तावेज, धमकी, जमीन हड़पने और उन भूखंडों के मूल आवंटियों को वंचित करने के लिए इंदिरापुरम थाने में कई शिकायतें दर्ज की गई थीं जिनके पैसे से 1991-1998 तक किसानों से जमीन खरीदी गई थी, बाद में इंदिरापुरम थाने में एफआईआर 893/2011 दर्ज की गई थी।
सोसायटी की लगभग 9 एकड़ जमीन में से 5 एकड़ जमीन का हस्तांतरण ऋषभ बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजीव जैन को किया गया, जिन्होंने प्रॉक्सी द्वारा अपने रिश्तेदार सुशील जैन को बैंक सहयोग आवास समिति लिमिटेड गाजियाबाद का सचिव बनाया और फिर जालसाजी के जरिए ऋषभ बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर जमीन हस्तांतरित कर दी 2010 के 762 और 2010 के सीआरएल एम.ए. नंबर 2767 और जस्टिस शिव नारायण ढींगरा के फैसले दिनांक 26/07/2010 में संजीव जैन डायरेक्टर ऋषभ बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड को पूरी जमीन हड़पने और जालसाजी के पीछे मुख्य साजिशकर्ता माना गया और आरोप तय करने का निर्देश दिया गया। मध्यम वर्ग के निवेशक विभिन्न अदालतों में केस लड़ रहे हैं, लेकिन कोई राहत नहीं मिल रही है। अब बिल्डर ने नया ज्वाइंट वेंचर बनाया है और नए नाम और कंपनी के तहत बाकी खाली जमीन हड़पने की कोशिश कर रहा है। रेरा, यूपी पुलिस, डीसी, जीडीए को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कुछ साल पहले नोएडा में किए गए एक और टावर को ध्वस्त होने से रोका जा सके। निवासियों, संभावित निवेशकों, दलालों और अन्य हितधारकों को सलाह दी जाती है कि वे इस आने वाली नई परियोजना में सावधानी से निवेश करें। मूल निवेशकों द्वारा सभी दस्तावेज नए गठित फोरम के पास उपलब्ध थे और दस्तावेजों को प्रेस और सभी संबंधित विभागों को दिखाया गया था।
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