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दिल्ली कमेटी के नेता पंथ में अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं : जीके

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व शहीद जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके की याद में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में आयोजित किए गए शहीदी समारोह के दौरान वक्ताओं द्वारा की गई सियासी ब्यानबाजी पर राजनीति गरमा गई है। दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने उक्त राजनीतिक बयानबाजी को बंदी सिंघों की रिहाई के मुद्दे को दरकिनार करने की साजिश करार दिया है। जीके ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बंदी सिंघों की रिहाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सिख नेताओं को मिलने का समय दिलवाने में विफल रहे दिल्ली कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका अब जत्थेदार काउंके की शहादत के मामले में अकाली नेताओं को जिम्मेदार ठहराकर अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि पंजाब के काले दौर के दौरान पुलिस द्वारा सिख युवकों के फर्जी एनकाउंटर पर कांग्रेस के खिलाफ बोलते हुए इन वक्ताओं की जुबान तालु से चिपक गयी थी। इस मौके पर सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सतनाम सिंह गिल की मौजूदगी का जिक्र करते हुए जीके ने कहा कि जब भाई गुरदेव सिंह काउंके को पुलिस ने प्रताड़ित किया था, तब सतनाम सिंह गिल जगराओं पुलिस स्टेशन में ड्यूटी पर तैनात बताएं जाते है। फिर उन्हें दिल्ली कमेटी द्वारा शहीदी समारोह में क्यों आमंत्रित किया गया था?

जीके ने कहा कि डिब्रूगढ़ जेल में बंद सिंघों के मुद्दे पर अब तक चुप रहने वाले दिल्ली कमेटी के नेताओं का लक्ष्य पंजाब में शिरोमणी कमेटी चुनाव लड़ाने का है। इसलिए शिरोमणी कमेटी का चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों को दिल्ली कमेटी के संसाधनों से समर्थन के आश्वासन के साथ इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। यही कारण है कि पंजाब के प्रमुख सिख संगठनों ने इस कार्यक्रम से दूरी बना कर रखी थी। जीके ने दावा किया कि सिख मुद्दों पर सरकारों को आंखें दिखाने की बजाय सरकार की प्रशंसा करना अपना पेशा बना चुके दिल्ली कमेटी के नेता अब पंथ में अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। इसीलिए वे सिखों के मानवाधिकारों की अनदेखी करने की सरकार की कोशिशों का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। जीके ने दावा किया कि हरमीत सिंह कालका अपने दादा जसवंत सिंह कालका के नक्शेकदम पर चलते हुए सिखों में फूट डालकर सरकार को खुश करने की राह पर चल रहे हैं।

दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए जसवंत सिंह कालका ने केन्द्र सरकार का पुरजोर समर्थन किया था। चाहे वह आपरेशन ब्लू स्टार के बाद गुरू की गोलक का उपयोग करके सरकारी अकाल तख्त बनाने का मामला हो या श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार रागी दर्शन सिंह के खिलाफ अखबारों में विज्ञापन देकर तख्त साहिब की सर्वोच्चता को बदनाम करने का मामला हो या फिर दिल्ली के रामलीला मैदान में झूठा सरबत खालसा बुलाने का मामला हो, जसवंत सिंह कालका ने वहीं किया था जो राजीव गांधी और बूटा सिंह को माफिक लगता था। आज पूरी कौम इस बात पर एकमत है कि जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके को न्याय मिलना चाहिए। लेकिन जत्थेदार काउंके को न्याय दिलाने की कोशिश करने की बजाए, ये इस मुद्दे का इस्तेमाल बंदी सिंघों की रिहाई के मामले को दबाने की गुस्ताखी के लिए कर रहे हैं। ताकि अपने दादा की तरह गांधी परिवार को क्लीन चिट देकर सरकारी लाभ लेने का पुश्तैनी फॉर्मूला आगे भी चलता रहें।

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