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'एफआईआईबी' के 12वें रिस्पॉन्सिबिलिटी समिट में सस्टेनेबल भविष्य पर गहन मंथन

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। फॉर्च्यून इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस (एफआईआईबी) ने सस्टेनेबल भविष्य की प्रतिबद्धता दुहराते हुए अपने 12वें रिस्पॉन्सिबिलिटी समिट का आयोजन किया जो विशालता, भागीदारी और ज्ञान के आदान-प्रदान हर मानक पर उच्च स्तरीय था। ऐतिहासिक समिट का थीम था ‘विविधता, समानता, समावेश - एक सुदृढ़ ग्रह के लिए नया स्वरूप’। इसमें सस्टेनेबल होने की कारगर प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न पेशों के विशिष्ट और अनुभवी विशेषज्ञों के एक समूह की भागीदारी दिखी।

कार्यक्रम के उद्घाटन पर अपने संबोधन में डॉ. कोकिल जैन, प्रोफेसर (मार्केटिंग), एफआईआईबी ने संस्थान के सस्टेनेबल विकास के इतिहास पर प्रकाश डाला जो एफआईआईबी के संस्थापक श्री आर.के. श्रीवास्तव के कार्य दर्शन के अनुरूप रहा है। डॉ. कोकिल ने एफआईआईबी में जिम्मेदारी के साथ कार्य के तीन प्रमुख क्षेत्रों की चर्चा की: शिक्षा प्रदान करना, संस्थान के काम-काज और सामुदायिक संपर्क। अत्याधुनिक टेक्नोलाॅजी और वैश्वीकरण के चलते सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं और इन चुनौतियों को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि विश्व, राष्ट्र, क्षेत्र और स्थानीय स्तर पर सस्टेनेबलिटी के प्रयासों को आपस में जोड़ें और उनके बीच सामंजस्य बनाएं।

उद्घाटन संबधोन के बाद एफआईआईबी के निदेशक डॉ. अनिल सिन्हा ने अपने मुख्य संबोधन में पूरी दुनिया में सस्टेनेबलिटी के नए दौर पर नए विचार रखे। उन्होंने हमारे ग्रह और हमारे देश को सभी के लिए एक बेहतर जगह बनाने में सीएसआर के कार्यों की जानकारी दी और उन्हें मान्यता देने में इस समिट जैसे प्रयासों को ज़रूरी बताया।

‘‘सस्टेनेबिलिटी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) पर जोर देने से हमारे व्यवसाय करने के तरीके में एक बुनियादी बदलाव आया है और इसका पर्यावरण और समाज पर प्रभाव पड़ेगा। आज अपनी सामान्य जरूरतों के दायरे से निकल कर सोचना और हमारे कार्यों के दीर्घकालिक परिणामों पर विचार करना हमारा दायित्व बनता है। हम में दुनिया को बदलने की ताकत है यदि अपने संसाधनों, विशेषज्ञता और प्रभाव का सही से उपयोग करें,’’ डॉ. अनिल सिन्हा ने कहा।

एफआईआईबी की कार्यकारी निदेशक राधिका श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘जिम्मेदार प्रबंधन की शुरुआत काम-काज में प्रत्येक सदस्य को योगदान देने और निर्णयों में अपनी बात रखने का समान अवसर देने के साथ होती है चाहे संगठन में सदस्य का जो भी ओहदा हो। हम सस्टेनेबलिटी और सीएसआर के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में यह याद रखना होगा कि ईएसजी डीईआई की परिणति है और दोनों व्यवसाय के सही मूल्य और सामाजिक प्रभाव को परिभाषित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।’’

कार्यक्रम में शोभायमान कुछ गणमान्य अतिथि वक्ताओं में उल्लेखनीय हैं सुश्री संगीता रॉबिन्सन, चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, पीवीआर लिमिटेड; सुश्री डॉली मित्तल, प्रमुख, एफर्मेटिव हायरिंग, टीसीएस; सुश्री शैलजा तनेजा, वरिष्ठ सलाहकार, यूएन एसडीजी; सुश्री शिवानी मदन बोस, डीईआई सलाहकार, प्राउड एचआर सर्विसेज और श्री मल्लिकार्जुन इयथा, संस्थापक, इन्क्लुज़िव दिव्यांगजन आंतरप्रेन्यरशिप एसोसिएशन (आईडीईए)।

वक्ताओं ने सस्टेनेबलिटी की पहलों को सफल बनाने में अपनी उपलब्धियों और संघर्षों के बारे में बताते हुए बेहतर प्रभाव के लिए एक रणनीतिक पुनर्निमाण की आवश्यकता पर जोर दिया जो व्यावसाय और सस्टेनेबलिटी दोनों की चिंताएं दूर करे।समिट का समापन आईआईएफबी की जिम्मेदारी रिपोर्ट पेश करने के साथ हुआ। रिपोर्ट में बताया गया है कि संस्थान ने अपने मिशन में उल्लिखित सामाजिक प्रभाव को प्राप्त करने के लिए किस तरह आंतरिक और बाहरी भागीदारों को शामिल किया है। साथ ही, इसके रणनीतिक लक्ष्यों के बारे में भी जानकारी दी गई है। एफआईआईबी ने एक संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल विकास के लक्ष्यों को अपनाया है। यह यूएन के इस आदर्श वाक्य के अनुसार है: एसडीजी के साथ दुनिया को बदलना है: सस्टेनेबल भविष्य के लिए एजेंडा 2030’।

आईआईएफबी ने अब तक सस्टेनेबलिटी के कई प्रयास किए उनमें खास तौर से उल्लेखनीय हैं:-

1. एफआईआईएफबी ने हाउब स्कूल ऑफ बिजनेस के सहयोग से सस्टेनेबलिटी डैशबोर्ड तैयार किया जिसकी मदद से संबद्ध विश्वविद्यालय संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की सर्वोत्तम प्रक्रियाएं साझा कर सकते हैं। अपने एसडीजी डैशबोर्ड के साथ यह पहल करने वाला एफआईआईएफबी चैथा भारतीय बिजनेस स्कूल है।

2. एफआईआईएफबी का एक कोर कोर्स एसआईपी (सोशल इंटर्नशिप प्रोग्राम) छात्रों को सामाजिक कार्य क्षेत्र में फील्डवर्क का अनुभव देता है। सामाजिक क्षेत्र के संगठनों (एसएसओ) के साथ सहयोग के तहत छात्रों के प्रोजेक्ट की जरूरतों को संगठनों के अनुरूप बनाया जाता है।

3. एफआईआईएफबी जागृति क्लब छात्रों को सेवा भाव सिखाकर समाज में योगदान देने के उद्देश्य से कार्यरत है। इस साल जागृति क्लब ने नुक्कड़ नाटक, प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए कौशल विकास, शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम और वस्त्र दान अभियान आयोजित किए।

4. एफआईआईएफबी ने बेटरलाइफ से भी साझेदारी की है जिसके तहत छात्रों, फैकल्टी और कर्मचारियों को सेहत एवं तंदुरूस्ती और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाया जाता है।

5. एफआईआईएफबी ने भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान के तहत पांच गांवों के एक समूह को गोद लिया है। यह इस क्लस्टर के लोगों के साथ मिल कर चुनौतियों का पता लगाएगा और सस्टेनेबल विकास की गति तेजी करने के समाधान देगा।

6. इस साल मंथन का थीम था ‘‘डिजिटल अर्थव्यवस्था: आर्थिक समता या विषमता का स्रोत?’’। ‘मंथन’ का संबंध संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्य 8 से है जिसमें कहा गया है कि ‘निरंतर और समावेशी आर्थिक विकास से प्रगति तेज होगी, सभी के लिए अच्छे रोजगार पैदा होंगे और रोजगार में सुधार होगा।’’

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