पीलीभीत फर्जी मुठभेड़...

पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री को जागो पार्टी ने पत्र भेजा

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने 1991 की पीलीभीत फर्जी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 10 सिखों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आए ताजा फैसले को चुनौती देने की केंद्र सरकार को अपील की है। पार्टी दफ्तर में आज पंथक मसलों को लेकर मीडिया को संबोधित करते हुए जागो पार्टी के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने बताया कि पीलीभीत मामले को लेकर उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिखा है। जिसमें 1991 की पीलीभीत फर्जी पुलिस मुठभेड़ के बारे इलाहाबाद हाईकोर्ट के आए फैसले को सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने तथा यूपी सरकार से 11 पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा तथा सरकारी नौकरी दिलाने का अनुरोध किया गया है। जीके ने दावा किया कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो की लापरवाही के कारण 10 सिख नौजवानों को खालिस्तानी आतंकवादी बताकर उनकी फर्जी पुलिस मुठभेड़ करने के दोषी यूपी पुलिस के 43 लोगों की सज़ा अब उम्रकैद से घट करके केवल 7 साल हो गई हैं।

जीके ने "वीर बाल दिवस" को लेकर दिल्ली कमेटी द्वारा 19 दिसंबर को जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब को लिखे गए पत्र को सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने मीठी जुबान में श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता को ना केवल चुनौती दी है। बल्कि भारत सरकार के द्वारा छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस 26 दिसंबर को हर वर्ष "वीर बाल दिवस" मनाने के सरकारी गजट नोटिफिकेशन को श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश से आगे रखने की हिमाकत की है। हालांकि छोटे साहिबजादों की शहादत का बड़े स्तर पर प्रचार करने का भारत सरकार का प्रयास अच्छा है। लेकिन साहिबजादों को 'बाबा' की जगह 'बाल' बताना सिख परंपरा को मंजूर नहीं है। इसलिए जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब की वीर बाल दिवस के नाम को लेकर चिंता तथा नाम बदलने की सरकार से अपेक्षा करना बिल्कुल ठीक है। 

1984 सिख नरसंहार के मामलों में आरोपी जगदीश टाइटलर के कांग्रेस की मीटिंगों में नजर आने को लेकर जीके ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली पहुंचने पर 24 दिसंबर को थाना निजामुद्दीन गोल चक्कर पर राहुल गांधी को काले झंडे दिखाने का ऐलान किया। इसके साथ ही जीके ने रोहिणी के सेक्टर 21 के गुरुद्वारा साहिब में एसडीएम के द्वारा थोपी गई पाबंदी वाले पत्र को आज जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा वापस लेने का स्वागत किया।

जीके ने पीलीभीत मामले की जानकारी देते हुए बताया कि धार्मिक यात्रा करके वापस आ रहें सिख श्रद्धालुओं की भरी हुई बस में से यूपी पुलिस के जवान तथा अधिकारी 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत से 11 सिख युवकों को अपने साथ ले गए थे। जिनमें से 10 सिख युवकों को बाद में 3 अलग-अलग जगहों पर झूठी पुलिस मुठभेड़ करके मार दिया था और 1 सिख युवक अभी भी लापता है। पुलिस ने उन्हें खालिस्तानी आतंकवादी कहकर बेरहमी से मार डाला था।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने 179 पन्नों के फैसले में कहा है कि  "बचाव पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि 10 सिख युवकों के अपहरण और हत्या के पीछे साजिश थी।" उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी का स्पष्ट अर्थ है कि सीबीआई के वकील और जांच अधिकारी का प्रदर्शन उच्च न्यायालय के समक्ष अच्छा नहीं था। कुल मिलाकर 10 सिख युवकों की हत्या के बाद अब 31 साल बाद उनको निचली अदालत से मिले इंसाफ का कत्ल हो गया है।

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