आज लेखक...

आज लेखक जिस रफ्तार से लिख रहे हैं, उससे भाषा की शैली में परिवर्तन होना स्वाभाविक है : प्रो. जोशी

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नई दिल्ली। रविवार 21 अगस्त 2022 को नई दिल्ली के हिन्दी भवन में वी एल मीडिया साॅल्यूशंस द्वारा प्रकाशित सात पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। रवि राय की दो  रचनायें  'ताल-बेताल' व 'बात-बेबात', कुलदीप मक्कड़ के लघुकथा संग्रह 'रेंगते लुढ़कते लोग' तथा डॉ. राजीव रंजन द्विवेदी की चार पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धनंजय जोशी थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बीर टिकेंद्रजीत विश्वविद्यालय मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो.बीएन मिश्रा ने की। अमेरिका से पधारे डॉ. जगन्नाथन मोहन विशिष्ट अतिथि रहे। प्रकाशक एवं आयोजक नित्यानंद तिवारी ने कहा कि 'कोविड महामारी के दो सालों के अवसाद से निकलने का सबसे सुलभ मार्ग साहित्य है। अच्छा साहित्य लिखना और पढ़ना दोनों हमें नई ऊर्जा प्रदान करते हैं।'

प्रोफेसर धनंजय जोशी ने कहा कि 'हम अपनी सांस्कृतिक  विरासत और संस्कारों को साहित्य के माध्यम से ही संरक्षित कर सकते हैं।' प्रो. धनंजय जोशी ने आगे कहा कि 'कवि और लेखक अपनी रचनाधर्मिता ठीक से निभायेंगे और समाज इनकी रचनाओं को पढेगा तो हमें विश्व गुरु बनने की कोशिश नहीं करनी होगी। उनका मानना है कि लेखक जिस रफ्तार से लिख रहे हैं उससे भाषा शैली में परिवर्तन होना लाजमी है, हमारा देश प्राचीन काल से ही विश्व गुरु हैं और इसके पीछे हमारे समृद्ध साहित्य परंपरा एवं पठन पाठन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।'

कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. आमना मिर्जा, डॉ. अर्चना त्रिपाठी, राज्य सभा से सनातन कुमार, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉ. सरोज, वरिष्ठ गज़लकार डॉ. गुरविंदर बांगा, दिलदार देहलवी, मयंक राजेश, वरिष्ठ साहित्यकार संदीप तोमर, विनय सक्सेना एवं कवयित्री डॉ. अनुराधा पाण्डेय ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के डॉ. उमेश पाठक ने किया।

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