फुटवियर पर 12प्रतिशत जीएसटी और बीआईएस मानक लागू होने से कारोबार हो जाएगा ठप : परवीन खंडेलवाल
नई दिल्ली। जूते बनाने वाली फेक्ट्रियों में न पड़े ताले इस के लिए कैट, आल इंडिया ट्रेडर्स एसोसियेशन हमेशा फुटवियर निर्माताओं के साथ है, केंद सरकार की जीएसटी पॉलिसी के खिलाफ जूता निर्माता एक जुट होकर विरोध करने के लिए तैयार है। कैट के राष्ट्रीय महासचिव परवीन खंडेलवाल की अध्यक्षा में दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब में एक प्रेस वार्ता के दौरान देश भर से आएं जूता एवम चप्पल निर्माता मालिकों ने एक स्वर से केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। कैट के राष्ट्रीय महासचिव परवीन खंडेलवाल ने बताया की किस तरह जूता निर्माताओं के व्यापार को बन्द करने की साजिश सरकार कर रहीं है।
खंडेलवाल का कहना है कि अभी जीएसटी पांच प्रतिशत है, वहीं कोई भी मानक क्वालिटी जांच के लिए नहीं बने हैं,केवल 10 कार्यालय देश भर में है जिसमें 5 सरकार के और 5 प्राइवेट है। आज जरूरत ही करीब 100लेबोरेट्री की, खंडेलवाल का कहना हैं कि इस प्रकार के नियमों को लागू करने से जूता कारोबार पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा, करोड़ों लोग जो इस कारोबार से अपनी रोजी रोटी चला रहे है बर्बादी के कगार में आ जाएंगे। उनकी मांग है कि 1000रूपये से ऊपर वाले जूतों पर ,12प्रतिशत और इससे नीचे वाले फुटवेयर पर 5 प्रतिशत जीएसटी रखा जाए। एक समय था की चाइना ने सारे पर कब्जा कर लिया था । अब 70प्रतिशत हमारा बाजार है, हम फिर से चाइना को बाजार में आने नही देना चाहते।
परवीन खंडेलवाल का कहना हैं, कि आज भी 85प्रतिशत जूते का व्यापार छोटे व्यापारी ,घरेलू उद्योग, पर निर्भर है। आज लगभग सभी तबकों के लिए आसानी से मांग के अनुरूप जूते उपलब्ध हैं,सस्ते भी है, वह किस प्रकार मानकों का पालन कर पाएंगे, बीआईएस को जिस तरह से लागू करने के लिए सरकार नियम बना रहीं हैं, इससे केवल ब्लेक मार्केट को बढ़ावा मिलेगा, टैक्स की चोरी होगी, कच्चा माल महंगा होगा जिससे आम आदमी की पहुंच से भी बाहर हो जायेंगे ।
बेराठी कंपनी के एमडी सौरभ बैराठी ने बताया की बहुत बड़ा असंगठित वर्ग हमसे जुड़ा हुआ है, प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया की बात करते है, लघु और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाओं को लागू कर रही है, लेकिन अगर इसी तरह के नियम हमारे जूता व्यापारियों पर थोपे गए तो हमारा व्यापार पूरी तरह बंद हो सकता है। हमारे साथ ,90प्रतिशत मजदूर बेकार हो जायेंगे, बेरोजगारी बढेगी। हमारी मांग है कि कम कीमत वाले जूतों पर 5प्रतिशत और महंगे जूतों पर ही 12प्रतिशत जीएस टी लगाई जाए, अभी बीएसआई मानकों को नही लागू किया जाए और सभी नियमों को लागू करने से पहले हमारी परेशानियों को भी समझे। हमारे प्रतिनिधियों से भी मिलकर नियम बनाए जाए। इस मौके पर गगन दास रमानी, आगरा शू फेक्टर्स फेडरेशन के साथ की कंपनी के मालिक भी उपस्थित रहे।
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